अन्ना इससे पहले कह चुके हैं कि वह नई दिल्ली में अपने आंदोलन के अगले चरण की शुरुआत 23 मार्च को शहीद दिवस के दिन से शुरू करेंगे। इस बार उनका यह आंदोलन ऐसा होगा, जैसा पहले कभी नहीं हुआ। यह आंदोलन सरकार के लिए चेतावनी होगी। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया है कि इस बार आंदोलन में उनके साथ वही लोग साथ होंगे, जो राजनीति में न आने की शपथ लेंगे। इसके लिए उन्हें स्टॉम्प पेपर पर यह लिख कर देना होगा और जो इस शपथ को तोड़ेगा, वह उस पर मुकदमा करेंगे।
अन्ना इस बार किसानों के मुद्दे को लेकर आंदोलन करने वाले हैं। उन्होंने एक बार फिर यह साफ किया कि उनका राजनीति में आने का इरादा नहीं है। उन्होंने कहा कि रैली और आंदोलन का मकसद मतदाताओं को जुटाना नहीं है। मुझे भरोसा है कि किसानों के मुद्दे पर होने वाला यह आंदोलन भी उसी तरह का होगा, जिस तरह का जनलोकपाल के लिए हुआ था। इस मौके पर अन्ना ने अपनी मांगों के बारे में कहा कि इस बार आंदोलन के प्रमुख मुद्दे हैं, लोकपाल को अमल में लाना, लोकायुक् तों की नियुक्ति, किसानों के लिए 5,000 हजार रुपए की पेंशन लागू करवाना और कृषि उत्पादों के लिए अच्छी कीमतें तय करवाना।
18 जनवरी को अन्ना हजारे ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया था कि जन लोकपाल बिल को उसने कमजोर कर दिया है। उन्होंने यह भी कहा कि मोदी सरकार को किसानों से ज्यादा उद्योगपतियों की फिक्र है। अन्ना ने देश को कृषि प्रधान कहे जाने पर निराशा व्यक्त की थी। कहा था कि पिछले 12 सालों में लाखों किसान आत्महत्या कर चुके हैं।