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1984 सिख विरोधी दंगा: CBI ने अदालत में सौंपी रिपोर्ट, जगदीश टाइटलर पर आरोप साबित करने के लिए मांगा दो महीने का वक्त

locationनई दिल्लीPublished: Mar 08, 2019 05:46:05 pm

Submitted by:

Shweta Singh

इस मामले की सुनवाई 22 मई तक के लिए स्थगित
सीबीआई ने कोर्ट से दो महीने का वक्त मांगा
कांग्रेस नेता सज्जन कुमार पहले से ही मामले के दोषी करार

Jagdish tytler

1984 सिख विरोधी दंगे: CBI ने अदालत में सौंपी रिपोर्ट, जगदीश टाइटलर पर आरोप साबित करने के लिए मांगा दो महीने का वक्त

नई दिल्ली। 1984 में हुए सिख विरोधी दंगा मामले में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने कोर्ट के सामने रिपोर्ट सौंपी है। CBI ने दंगे के साक्षी रहे अभिषेक वर्मा की लाई डिटेक्टर रिपोर्ट कोर्ट के सामने सौंपी है। साथ ही सीबीआई ने कोर्ट से जगदीश टाइटलर के खिलाफ जांच करने के लिए 2 महीनों का वक्त मांगा है। सीबीआई ने कहा कि दो महीने के भीतर टाइटलर पर लगे आरोपों की जांच कर ली जाएगी। टाइटलर सिख विरोधी दंगा मामले में आरोपी है।

मामले की अगली सुनवाई 22 मई को

वहीं, टाइटलर ने अपने ऊपर लगे आरोपों को निराधार और बेबुनियाद बताते हुए सफाई दी। फिलहाल मामले की सुनवाई 22 मई तक के लिए स्थगित की गई है।

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टाइटलर पर आरोप साबित करने के लिए कोर्ट ने मांगा वक्त

आपको बता दें कि इस मामले में एक अन्य कांग्रेस नेता सज्जन कुमार पहले से ही अदालत द्वारा दोषी करार दिया है। उनपर बीते दिसंबर में हुई सुनवाई के दौरान आरोप साबित हुआ। हालांकि, जगदीश टाइटलर पर आरोप साबित करने और उनके खिलाफ ठोस सबूत जुटाने के लिए सीबीआई मामले की छानबीन कर रही है। यही वजह है कि सीबीआई ने कोर्ट से दो महीने का वक्त मांगा है।

पटियाला हाउस कोर्ट में हुई सुनवाई

आपको बता दें कि इससे पहले गुरुवार को इस मामले की पटियाला हाउस कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान एक महिला गवाह चाम कौर ने सज्जन कुमार को पहचानते हुए बताया कि वह भीड़ को सिखों को मारने के लिए दिशा-निर्देश दे रहे थे। बता दें कि इस मामले की सुनवाई 28 मार्च को होगी। इसमें अन्य गवाह का बयान दर्ज किया जाएगा।

इस कारण भड़के थे दंगे

गौरतलब है कि पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद 31 अक्टूबर 1984 को सिख विरोधी दंगे भड़के थे। दरअसल इंदिरा की हत्या उनके सिख अंगरक्षकों ने की थी, जिसके बाद दंगे भड़क उठे थे। आपको बता दें कि उस दौरान देश के कई राज्यों में हत्या और आगजनी की वारदातें अंजाम दी गई थी। दंगे में तीन हजार से ज्यादा लोगों की जान गई थी, जिसमें अधिकतर लोग दिल्ली के थे।

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