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2050 तक एंटीबॉयोटिक की वजह से मारे जाएंगे 1 करोड़ लोग

Published: Jan 18, 2017 12:28:00 pm

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एंटीबॉयोटिक का इस्तेमाल जानलेवा हो सकता है। एंटीबॉयोटिक के लंबे समय तक इस्तेमाल से आप अपने शरीर में एक सुपरबग को जन्म देते हैं।

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नई दिल्ली। हाल ही में 70 साल की अमरीकी महिला की मौत के बाद सामने आया है कि लगातार एंटीबॉयोटिक का इस्तेमाल जानलेवा हो सकता है। साथ ही एंटीबॉयोटिक के लंबे समय तक इस्तेमाल से आप अपने शरीर में एक सुपरबग को जन्म देते हैं। अमरीका के वैज्ञानिकों ने एक ऐसे भारतीय सुपरबग का पता लगा लिया है जिस पर किसी भी एंटीबॉयोटिक का असर नहीं होता।

भारत में जन्मे सुपरबग का अमरीका में भी इलाज नहीं

बता दें कि अमरीकी महिला दो साल पहले अपने एक घाव का इलाज कराने दिल्ली आई थी। भारत में महिला के इलाज में एंटीबॉयोटिक का इस्तेमाल बार-बार किया गया। खतरनाक एंटीबॉयोटिक के हैवी डोज दिए जाने से उसके शरीर के अंदर एंटीबॉयोटिक के लिए प्रतिरोधक क्षमता पैदा हो गई। जब वो वापस अमरीका पहुंची तो उसके अंदर ऐसा भारतीय सुपरबग विकसित हो गया जिस पर किसी भी एंटीबॉयोटिक का असर नहीं होता है। डॉक्टरों ने इस लाइलाज सुपरबग को न्यू डेली मेटालो-बीटा-लेक्टामेस एनडीएम नाम दिया है। डॉक्टर्स ने महिला के घाव के नमूनों से यह पुष्टि की है। अमरीका में हुई इस खोज ने अब दुनियाभर के डॉक्टरों को परेशान कर दिया है। खासतौर से भारत में इसका खतरा बढ़ गया है।

26 एंटीबॉयोटिक के लिए प्रतिरोधक सुपरबग

अटलांटा की लैबरेटरी सीडीसी के मुताबिक यह महिला कई बार भारत के अस्पताल में भर्ती हुई और आखिरी बार जून 2016 में आई थी। अमरीका लौटने के कुछ समय बाद अगस्त महीने में निवाडा के एक हॉस्पिटल में महिला को भर्ती कराया गया। सीडीसी के मुताबिक पीडि़त महिला के घाव के नमूनों से यह पता लगा कि जो सुपरबग उसमें पाया गया वह 26 एंटीबायॉटिक्स के लिए प्रतिरोधक है। साल 2008 में भारतीय मूल की स्वीडिश महिला में यह सुपरबग पहली बार पाया गया था।

एंटीबॉयोटिक के ज्यादा इस्तेमाल से सुपरबग का जन्म

डॉक्टर्स को डर है कि एंटीबायॉटिक्स का ज्यादा इस्तेमाल इस तरह के और सुपरबग को जन्म दे सकता है। इस सुपरबग का शिकार अधिकतर कैंसर के मरीज, सर्जरी कराने वाले मरीज, टीबी के मरीज या फिर ऑर्गन-हड्डी ट्रांसप्लांट कराने वाले लोग होते हैं।
बार-बार एंटीबॉयोटिक लेते हैं तो आप खतरे में हैं

एंटीबॉयोटिक बार-बार लेने से आप अपने शरीर के अंदर इन दवाओं की प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर रहे हैं। उस समय भले ही आपकी बीमारी इससे ठीक हो जाती है मगर आपकी बॉडी लगातार एंटीबॉयोटिक लेने से उसके प्रति प्रतिरोधक क्षमता पैदा कर लेती है।

क्या है एंटीबॉयोटिक प्रतिरोध

– इस अवस्था में आपके शरीर में बैक्टीरिया बढ़कर कई अरब हो जाते हैं। ये अरबों बैक्टीरिया मिलकर हर दवाई का असर खत्म कर देते हैं।
-एंटीबॉयोटिक के ओवरडोज से आप इस स्टेज पर पहुंचते हैं।
– जब आप एंटीबॉयोटिक का कोर्स पूरा नहीं करते तो इससे आपके कमजोर बग तो मर जाते हैं मगर शक्तिशाली सुपरबग पैदा हो जाते हैं।


एंटीबॉयोटिक प्रतिरोध से 2050 में एक करोड़ पहुंचेगा आंकड़ा

ब्रिटेन सरकार की ओर से किए गए अध्ययन के अनुसार एंटीबॉयोटिक के प्रतिरोध से होने वाली मौतों का आंकडा 2050 तक एक करोड़ हो जाएगा। अभी एंटीबायोटिक प्रतिरोध से करीब 7 लाख लोगों की मौत होती है।

कितना घातक है एंटीबॉयोटिक प्रतिरोध

23,000 मौत अमरीका में सालाना
20 लाख बीमार अमरीका में सालाना
2050 तक 1 करोड़ मौत
7 लाख मौत अब तक



भारत की स्थिति

– आईसीयू में भर्ती 10 में से 4 ड्रग प्रतिरोधक मरीज
– 10 में से 3 बच्चे ड्रग प्रतिरोधक
– 2010 में एंटीबॉयोटिक का सबसे ज्यादा हुआ इस्तेमाल
– एंटीबॉयोटिक की बिक्री में भारत का 23 प्रतिशत योगदान




दुनियाभर में बीमारी से होने वाली मौत

कैंसर: 82 लाख
हैजा: 1 लाख
डायबिटीज: 15 लाख
डायरिया: 14 लाख
खसरा: 1 लाख 30 हजार
सड़क दुर्घटना: 12 लाख
टीटनेस: 60 हजार
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