भागतव ने कहा कि हमारी किसी से कोई दुश्मनी नहीं है। हम सबकी भलाई चाहते हैं। हिंदुत्व का मतलब सबको संगठित करना है। उन्होंने कहा कि दुनिया में कहीं भी हिंदुओं पर अत्याचार होता है, तो वे भारत में शरण लेते हैं। सरकार भी कहती है कि ऐसे लोगों को हम आश्रय देंगे, क्योंकि यह हिंदुओं का देश है।
उन्होंने कहा, हिंदू सच्चाई में विश्वास रखते हैं, लेकिन दुनिया ताकत को मानती है। इसलिए संगठित होना एक ताकत है और ये प्राकृतिक है। देश के विभाजन का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इससे हिंदू समाज को कमजोर किया। इससे हिंदू समाज बंट गया। जब तक हिंदुओं में एकता रही, वे संगठित रहा। पहले काबुल से परे अफगानिस्तान से वर्मा तक सारा इलाका हिंदुस्तान था। हिंदुत्व की भावना क्षीण होने से ये छोटा हो गया।
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सभी को साथ लेकर चलना चाहता है। भारत का उद्देश्य दुनिया को सनमार्ग के रास्ते पर बढ़ाना है। दुनिया को हमारे इतिहास के बारे में जानती है, इसलिए भारत से अपेक्षा कर रही है कि यहां का समाज वैभव संपन्न सुरक्षित जीवन जीने का कोई नया तरीका सामने लाएगा।
उन्होंने कहा कि सनातन धर्म सभी को साथ लेकर चलना चाहता है। भारत का उद्देश्य दुनिया को सनमार्ग के रास्ते पर बढ़ाना है। दुनिया को हमारे इतिहास के बारे में जानती है, इसलिए भारत से अपेक्षा कर रही है कि यहां का समाज वैभव संपन्न सुरक्षित जीवन जीने का कोई नया तरीका सामने लाएगा।
उन्होंने कहा कि भारत विविधताओं का देश है। हम सबका सम्मान करते हैं। हमारा प्रयोजन दुनिया को नया रास्ता दिखाना है। दुनिया को पता है कि भारत ने अपने भूतकाल में ऐसा जीवन खड़ा किया था, जिसमें भौतिक और आध्यात्मिक उन्नति अपने चरम थी। हिंदुस्तान ने दुनिया को अच्छा जीवन जीने का तरीका सिखाया। आयुर्वेद दिया। लेकिन हमें ही अपने इतिहास के बारे में उल्टा पढ़ाया गया है।