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10 साल बाद भी नहीं मिले सेना को 1.86 लाख बुलेटप्रूफ जैकेट 

क दशक पहले इनकी मांग की गई थी और छह साल पहले सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी थी

Jun 30, 2015 / 08:45 am

शक्ति सिंह

army jackets

नई दिल्ली। भारतीय सैनिकों के लिए मूलभूत जरूरत बुलेट प्रूफ जैकेटों का भी टोटा है। सेना को अभी तक भी लाइट मॉडयूलर जैकेट नहीं मिले हैं जबकि एक दशक पहले इनकी मांग की गई थी और छह साल पहले सरकार ने इस प्रस्ताव को मंजूरी भी दे दी थी। ये जैकेट सिर, गर्दन, छाती, पेट के निचले हिस्से और साइड के हिस्सों को सुरक्षा मिलती है और इनमें बैलिस्टि क हेलमेट भी जुड़ा रहता है। साथ ही जवानों को हिलने-डुलने में भी दिक्कत नहीं होती।

अक्टूबर 2009 में रक्षा अधिग्रहण परिषद् ने पहले राउंड के तहत इस तरह के 1.86 लाख बुलेट प्रूफ जैकेट के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। वैसे सेना को कुल मिलाकर 3.53 लाख जैकेट की जरूरत थी। इसके चलते सेना को पुराने जैकेट ही इस्तेमाल करने पड़ रहे हैं। एक साल के बाद इनमें से भी ज्यादातर खराब हो जांएगे। रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने पिछले साल 50 हजार नए जैकेट के आपात इंतजाम का आदेश दिया था लेकिन उन पर भी अभी काम होना बाकी है। सूत्रों के अनुसार इस खरीद में अभी छह महीने और लग सकते हैं।

वहीं 1.86 लाख जैकेट का मामला अभी भी ट्रायल मूल्याकंन के दौर में ही है और छह कंपनियां इसकी दौड़ में है। जब प्रस्ताव को मंजूरी दी गई थी उस समय एक जैकेट की अनुमानित कीमत 50 हजार रूपये थी और पूरे प्रस्ताव की लागत 930 करोड़ रूपये है। 2012 तक इन जैकेट को पहले राउंड के तहत शामिल करना था और इसके बाद दूसरे राउंड में 1.67 लाख जैकेटों का ऑर्डर देना था। लेकिन बार-बार बदलती खरीद प्रक्रियाओं, राजनीतिक उदासीनता के चलते इसमें साल दर साल देरी होती रही।

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