अब GST परिषद करेगी फैसला
अरुण जेटली ने प्रश्नकाल के दौरान बीजू जनता दल के देवेन्द्र गौड़ द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर देते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि जीएसटी के लिए जो संविधान संशोधन किया गया था उसमें पेट्रोल को शामिल किया गया था लेकिन उसे लागू करने का फैसला जीएसटी परिषद को करना है। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद में राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के भी वित्त मंत्री शामिल होते हैं और सबको मिलकर फैसला करना होता है।
19 राज्यों में सरकार तो इंतजार किसका
पूर्व वित्त मंत्री एवं कांग्रेस सदस्य पी चिदंबरम ने प्रश्न पूछते हुए कहा कि सरकार का क्या इरादा है, क्या वह जीएसटी के दायरे में पेट्रोलियम पदार्थ को लाने के पक्ष में है। जब देश के 19 राज्यों में बीजेपी की सरकार है तो राज्य सरकारों को इसके लिए तैयार करने में परेशानी किस बात की है। इस पर जेटली ने कहा कि केंद्र सरकार इसके पक्ष में है और उम्मीद है कि राज्य सरकारें इसके लिए तैयार हो जाएंगी। उन्होंने कहा कि हर महीने जीएसटी परिषद की बैठक होती है और अगली बैठक जनवरी में होगी। उन्होंने कहा कि जीएसटी परिषद में अब तक जितने फैसले लिए गए हैं वे सभी सर्वसम्मति से लिए गए हैं।
जेटली को चिदंबरम को दिया जवाब
उन्होंने चिदंबरम को आड़े हाथ लेते हुए यह भी कहा कि यूपीए सरकार ने तो जब जीएसटी विधेयक का मसौदा बनाया था तो उसने पेट्रोलियम उत्पाद को रखा ही नहीं था। उनकी सरकार ने तो कम से कम जीएसटी से जुड़े संविधान संशोधन में इसे रखा तो है। चिदंबरम ने जब अन्तराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतें गिरने पर देश में पेट्रोल डीजल की कीमतें कम न होने की शिकायत की तो जेटली ने कहा कि पेट्रोल-डीजल पर राज्य सरकारें भी कर लगाती हैं। भाजपा शासित राज्यों ने तो अपने कर कम किए हैं लेकिन कांग्रेस शासित राज्यों ने अभी तक कम नहीं किये। जेटली का जवाब सुनकर चिदंबरम चुप हो गए।