भारत के मेधावी छात्र अध्ययन के लिए विदेश चले जाते हैं
उद्योग संगठन एसोचैम और यस इंस्टीट्यूट के संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि शीर्ष वैश्विक प्रचलन से सीख लेना अब देश के लिए जरूरी हो गया है। अध्ययन में बताया गया है कि मेधावी छात्र अध्ययन और शोध के लिए विकसित देशों में चले जाते है और दूसरे देशों में बौद्धिक एवं आर्थिक मूल्यों का योगदान देते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार छह लाख भारतीय विद्यार्थी विदेश में पढ़ रहे हैं और वहां 20 अरब डॉलर सालाना से अधिक खर्च कर रहे हैं।
भारत में 16 फीसदी और चीन में 80 फीसदी कंपनियां संस्थान के अंदर देती हैं प्रशिक्षण
एसोचैम के ताजा अध्ययन में बताया गया है कि भारत में महज 16 प्रतिशत कंपनियां संस्थान के भीतर ही प्रशिक्षण देती हैं। जबकि चीन में यह आंकड़े 80 प्रतिशत हैं। अध्ययन में आगे बताया गया कि देश में जितने छात्र-छात्राएं स्नातक करते हैं उनमें से बेहद छोटे हिस्से को ही रोजगार के लायक समझा जाता है।
वहीं, राष्ट्रीय रोजगार रिपोर्ट-2013 के अनुसार, साइंस और कॉमर्स समेत सभी शैक्षणिक वर्गों में रोजगार की योग्यता 25 फीसदी से भी कम है। रिपोर्ट में बताया गया कि भारतीय उच्च शिक्षा जगत रोजगार की कमी, शोध की कमी और नवाचार एवं उद्यमिता की सीमित संभावनाओं जैसी कई सारी समस्याओं से जूझ रहा है।