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वाजपेयी और मिसेज कौल की ‘अटल’ दोस्ती, जानिए क्या था पूरा सच

locationनई दिल्लीPublished: Aug 21, 2018 08:55:44 pm

Submitted by:

Prashant Jha

वाजपेयी के निधन के बाद एक नाम सबसे ज्यादा मीडिया की सुर्खियों में रहा वह था राजकुमारी कौल । हर जुबान पर चर्चा थी कि आखिर राजकुमारी कौल कौन थीं।

namita kaul

वाजपेयी के निधन के बाद मीडिया में उछला मिसेज कौल का नाम, जानिए क्या था पूरा सच

नई दिल्ली: देश के पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इस दुनिया को अलविदा कह गए। लेकिन उनकी यादें हमेशा लोगों के जेहन में बनी रहेंगी। अटल बिहारी वाजपेयी से जुड़ी हर चीज़ को जानने के लिए लोगों में उत्सुकता है। वाजपेयी के निधन के बाद एक नाम सबसे ज्यादा मीडिया की सुर्खियों में रहा वह था राजकुमारी कौल । हर जुबान पर चर्चा थी कि आखिर राजकुमारी कौल कौन थीं। मिसेज कौल अटल बिहारी वाजपेयी की करीबी मित्र थीं। जिनका निधन 2014 में हार्ट अटैक से हो गया था। दिल्ली के कृष्णा मेनन मार्ग पर स्थित वाजपेयी के घर पर 3 मई 2014 को राजकुमारी कौल ने आखिरी सांस ली। उस दौरान कई प्रमुख हस्तियों ने राजकुमारी कौल को श्रद्धांजलि देने उनके घर पर पहुंची थी। इसमें कांग्रेस की तत्कालीन अध्यक्ष सोनिया गांधी भी शामिल हुई थीं। कौल के अंतिम संस्कार में भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी, अमित शाह के साथ-साथ कांग्रेस नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया भी शामिल हुए थे। राजकुमारी कौल कई दशकों तक अटल बिहारी वाजपेयी के साथ रहीं। वाजपेयी ने उनकी बेटी नमिता भट्टाचार्य को भी गोद लिया। यहां तक की वाजपेयी के आखिरी वक्त तक मिसेज कॉल साथ रही ।

कौन थीं मिसेज कौल?

अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के साथ ही मिसेज कौल की चर्चा जोरों पर होने लगी। मिसेज कौल और वाजपेयी की नजदीकी सभी के लिए कौतुहल का विषय बन गई। दरअसल 40 के दशक में अटल बिहारी वाजपेयी और राजकुमारी हकसर, ग्वालियर में विक्टोरिया कॉलेज (लक्ष्मीबाई कॉलेज) में पढ़ रहे थे। दोनों ने एक-दूसरे की भावनाएं समझीं। हालांकि उस दौर में लड़के लड़की को साथ रहना सामाजिक तौर पर सही नहीं माना जाता था। इसकी कड़ी आलोचना होती थी। वाजपेयी और मिसेज कौल भी इस स्थिति से गुजर रहे थे। अटल बिहारी वाजपेयी ने अपनी भावनाओं का पत्र के माध्यम से इजहार किया था। वाजपेयी ने यह खत राजकुमारी के लिए लाइब्रेरी की एक किताब में रख दिया था। राजकुमारी ने भी ऐसे ही जवाब दिया, हालांकि उनका जवाब वाजपेयी तक पहुंचा ही नहीं। लेकिन दोनों एक दूसरे की भावनाएं समझने लगे।

कश्मीरी पंडित से राजकुमारी की हुई शादी

आजादी के दौरान राजकुमारी के पिता गोविंद नारायण हकसर ने उनकी शादी कश्मीरी पंडित बृज नारायण कौल से कर दी। बाद में मिसेज कौल पति के साथ दिल्ली चली गईं और वाजपेयी कानपुर से होते हुए लखनऊ पहुंच गए। मिसेज कौल के पति बीएन कौल, रामजस कॉलेज में प्रोफेसर थे और बाद में रामजस हॉस्टल में वार्डन भी बने।

वाजपेयी ने कौल की बेटी नमिता को गोद लिया

कुछ सालों बाद वाजपेयी चुनाव जीतकर संसद पहुंचे। एक लंबे वक्त के बाद दिल्ली में वाजपेयी का मिसेज कौल से मिलना हुआ। उस वक्त राजकुमारी कौल, बीएन कौल की पत्नी थीं। धीरे-धीरे वाजपेयी और कौल की भावनाएं मिलती रही। अगले कई सालों तक वाजपेयी, कौल के घर नियमित आने-जाने लगे। बाद में वाजपेयी कौल हाउस में शिफ्ट हो गए जबकि उस वक्त तक प्रोफेसर कौल रामजस कॉलेज के वार्डन थे। लेकिन 1978 में अटल बिहारी वाजपेयी जब मोरारजी सरकार में विदेश मंत्री बने तो वे मिसेज कौल और उनकी बेटियों के साथ सरकारी आवास में शिफ्ट हो गए। उन्होंने कौल की बेटी नमिता और बाद में उनकी नतिनि निहारिका को गोद ले लिया।

मीडिया से दूरी रखी गई ये बात

वाजपेयी की मिसेज कौल के साथ दोस्ती की चर्चा मीडिया से दूर रखी गई। वाजपेयी ने भी इस पर सफाई देने की जरूरत नहीं समझी। मिसेज कौल ने एक बार एक मैगजीन को इंटरव्यू दिया था। इंटरव्यू में उन्होंने कहा था, अटल बिहारी वाजपेयी से उनकी दोस्ती को लेकर किसी को समझाने की जरूरत नहीं है। मिसेज कौल ने कहा, पति के साथ भी उनका रिश्ता काफी मजबूत है।

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