अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बढ़ी कीमत के कारण लिया गया फैसला
पेट्रोलियम मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण सेल के अनुसार, प्राकृतिक गैस के अधिकतर घरेलू उत्पादकों को दी जाने वाली कीमत वर्तमान में 3.06 डॉलर प्रति 10 लाख ब्रिटिश थर्मल यूनिट (एमएमबीटीयू) से बढ़ा कर 3.36 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू कर दी गई है। बता दें कि यह दर अक्टूबर 2015 से मार्च 2016 की अवधि के दौरान 3.82 डॉलर प्रति एमएमबीटीयू के बाद सर्वाधिक है। इस वजह से दिल्ली-एनसीआर में सीएनजी का मूल्य संशोधित किया गया है। बता दें कि प्राकृतिक गैसों की कीमतें गैस की अधिकता वाले देशों में हर छह महीने पर संशोधित होती हैं। भारत अपनी जरूरत के लिए इन्हीं देशों पर निर्भर है। इन्हीं प्रचुर गैस की उपलब्धता वाले देशों से वह गैस का आयात करता है। आयातित गैसों का मूल्य घरेलू गैसों के मुकाबले दोगुने से भी ज्यादा पड़ती है।
तीन साल के भीतर दूसरी वृद्धि
तीन साल में गैसों की कीमत में यह वृद्धि दूसरी बार की गई है। इससे ओएनजीसी, रिलायंस इंडस्ट्रीज आदि गैस उत्पादक कंपनियों को फायदा होगा। सूत्रों ने बताया कि प्राकृतिक गैस की कीमत में यदि एक डॉलर की वृद्धि होती है तो ओएनजीसी का राजस्व सालाना आधार पर चार हजार करोड़ रुपए तक बढ़ जाता है। लेकिन इस वृद्धि का असर उपभोक्ताओं पर पड़ेगा। इससे यूरिया और बिजली उत्पादन लागत भी बढ़ जाएगी।