पैसा, पद और जमीन की मांग
अमरनाथ मिश्रा आरोप लगाए कि जिस वक्त राम जन्मभूमि सद्भावना समीति के अध्यक्ष और श्री श्री रविशंकर से मिलने नदवी और दूसरे मुस्लिम नेता आए थे, हमने विवाद सुलझाने के लिए एक फॉर्मूला रखा। लेकिन इसी मुलाकात के दौरान सलमान नदवी ने इसके स्थान पर एक हजार करोड़ रुपए, अयोध्या में 200 एकड़ जमीन और एक राज्यसभा की सीट की मांग की की थी।
नदवी बोले- अमरनाथ कौन है?
इस गंभीर आरोप के जवाब में नदवी ने कहा कि मैं अमरनाथ मिश्रा को जानता ही नहीं हूं। अगर ऐसे आरोप लगाए जा रहे हैं तो सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के लिए लगाए जा रहे हैं ऐसे लोगों को मंदिर और मस्जिद से कोई मतलब नहीं है। यह लोग सिर्फ अच्छे काम में बाधा डालते हैं।
विवाद बढ़ाना चाहते हैं कुछ लोग
नदवी ने मिश्रा को घेरते हुए कहा कि ये लोग मेरे फॉर्मूले से डरे हुए हैं, क्योंकि मैंने हिंदु-मुसलमान एकता की बात कही है। इसी वजह से ये लोग डरे हुए हैं और विवाद को बनाए रखना चाहते हैं।
नदवी ने की थी मस्जिद शिफ्ट करने की बात
बता दें कि श्री श्री रविशंकर से मुलाकात करने के बाद मौलाना नदवी ने मस्जिद को शिफ्ट किए जाने का सुझाव दिया था और राम जन्मभूमि पर ही बनाने की बात कही थी। जिसके बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने उन्हें बाहर निकाल दिया था।
नदवी के फैसले को बताया था अनुशासनहीनता
इससे पहले हैदराबाद में हुई मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में दो कार्यकारिणी सदस्यों कमाल फारूकी व डॉ.कासिम रसूल इलियास ने मौलाना नदवी का विरोध किया। उन्होंने कहा कि नदवी की बेंगलुरु में श्री श्री रविशंकर से मुलाकात और अयोध्या के विवादित स्थल से दूर मस्जिद के निर्माण की वकालत वाला बयान अनुशासनहीनता है। अन्य सदस्यों ने भी मांग पर सहमति जताई। इसके बाद बोर्ड नेतृत्व ने चार सदस्यीय कमेटी गठित की थी।
मौलाना नदवी के खिलाफ जांच कमेटी में ये थे मेंबर
मौलाना नदवी ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की एक्जिक्यूटिव कमेटी के सदस्य थे। राम मंदिर को लेकर फॉर्मूला देने के बाद उन्हें उनके पद से बर्खास्त कर दिया गया है। मौलाना नदवी के फॉर्मूले के बाद ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने नदवी के खिलाफ एक जांच कमेटी बिठाई थी, जिसने अपनी रिपोर्ट रविवार को सौंपी है। रिपोर्ट के बाद नदवी को बोर्ड से बाहर का रास्ता दिखा दिया है। नदवी के खिलाफ जिस जांच कमेटी का गठन किया गया था, उसमें अध्यक्ष राबे हसन नदवी, महासचिव वली रहमानी, एक्जिक्यूटिव कमेटी के सदस्य अरशद मदनी और मौलाना खालिद सैफुल्ला रहमानी का नाम शामिल था।