निर्मोही अखाड़े ने अदालत से कहा कि जमीन पर हमारा हक है। हमसे पूजा का अधिकार छीना गया है। मुस्लिम पक्ष का दावा गलत
निर्मोही अखाड़ा के वकील ने अदालत से कहा कि पूरी जमीन अखाड़े के पास ही है। इस पर मुस्लिम पक्ष का दावा गलत है। इस मामले में अन्य पक्ष (हिंदू पक्ष ) पूजा का अधिकार मांग रहे हैं।
निर्मोही अखाड़े ने कहा कि 6 दिसंबर, 1992 को कुछ शरारती तत्वों ने रामजन्मभूमि पर बना विवादित ढांचा ढहा दिया था।
धारा-370: आधी रात को JNU में 370 वापस लाओ की मांग से गूंजा आसमान सीजेआई- मस्जिद से पहले स्ट्रक्चर था तो सबूत दिखाएं इस पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हमारे सामने आप वहां के स्ट्रक्चर पर स्थिति को साफ करें। सीजेआई ने पूछा कि वहां पर एंट्री कहां से होती है? सीता रसोई से या फिर हनुमान द्वार से?
निर्मोही अखाड़ा कैसे रजिस्टर किया हुआ? जस्टिस नजीर ने निर्मोही अखाड़े से पूछा कि आप बहस में सबसे पहले अपनी बात रख रहे हैं, आपको हमें इसकी पूरी जानकारी देनी चाहिए। सीजेआई ने कहा कि ट्रायल कोर्ट में जज ने कहा है कि मस्जिद से पहले किसी तरह के ढांचे का कोई सबूत नहीं है। इस पर निर्मोही अखाड़े के वकील ने कहा कि अगर उन्होंने इसे ढहा दिया तो इसका मतलब ये नहीं है कि वहां पर कोई निर्माण नहीं था।
प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई ने ने इसके बाद कहा कि इसी मुद्दे के लिए ट्रायल होता है, आपको हमें सबूत दिखाना पड़ेगा।
अनुच्छेद 370 पर राहुल गांधी ने तोड़ी चुप्पी, कहा- मोदी सरकार के फैसले से राष्ट्रीय सुरक्षा को 1949 में आखिरी बार पढ़ गई नमाज इसके बाद निर्मोही अखाड़े के वकील ने अदालत से कहा कि 16 दिसंबर, 1949 को आखिरी बार जन्मभूमि पर बनाई गई मस्जिद में नमाज़ पढ़ी गई थी जिसके बाद 1961 में वक्फ बोर्ड ने अपना दावा दाखिल किया था।
इस बीच जब राजीव धवन ने कोर्ट को टोका तो CJI ने कहा कि आपको आपका समय मिलेगा, बीच में न टोकें और कोर्ट की गरिमा का ध्यान रखें। बता दें कि अयोध्या पर मध्यस्थता असफल होने के बाद शीर्ष अदालत ने इस मामले पर रोजाना सुनवाई शुरू कर दिया है।