इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 3 हिस्सों में बांटी थी विवादित जमीन
अयोध्या के विवाद ढांचे के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ पीठ ने 2010 में अपना फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटा था। पीठ ने विवादित ढांचे की जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर हिस्सों में बांटने का फैसला दिया था। इस फैसले के विरोध में तीनों ही पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
अयोध्या के विवाद ढांचे के मामले में इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लखनऊ पीठ ने 2010 में अपना फैसला सुनाते हुए विवादित जमीन को 3 हिस्सों में बांटा था। पीठ ने विवादित ढांचे की जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और रामलला के बीच बराबर हिस्सों में बांटने का फैसला दिया था। इस फैसले के विरोध में तीनों ही पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।
सुप्रीम कोर्ट की 3 सदस्यीय पीठ करेगी सुनवाई
अयोध्या के विवादित ढांचा मामले में दायर याचिकाओं का निपटारा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 3 सदस्यीय पीठ का गठन किया है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में गठित यह पीठ 11 अगस्त से इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इस खंडपीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
अयोध्या के विवादित ढांचा मामले में दायर याचिकाओं का निपटारा करने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने 3 सदस्यीय पीठ का गठन किया है। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता में गठित यह पीठ 11 अगस्त से इन याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। इस खंडपीठ के अन्य सदस्यों में न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर शामिल हैं।
शिया और सुन्नी वक्फ बोर्ड में फूट
शिया वक्फ बोर्ड ने जो अर्जी दायर की है उसमें कहा गया है कि बाबरी मस्जिद को मीर बाकी ने बनाया था और वह शिया थे। बोर्ड ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2010 में आए इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले के मुताबिक जमीन के एक तिहाई हिस्से पर हक उनका है ना कि सुन्नी वफ्फ बोर्ड का। सुन्नी बोर्ड का दावा पूरी तरह से गलत है। ऐसे में शिया वक्फ बोर्ड को पक्षकार बनाया जाना चाहिए। बोर्ड ने यह मांग भी की है कि इस मामले को एक कमेटी की ओर से सुलझाया जाना चाहिए।
शिया वक्फ बोर्ड ने जो अर्जी दायर की है उसमें कहा गया है कि बाबरी मस्जिद को मीर बाकी ने बनाया था और वह शिया थे। बोर्ड ने सुन्नी वक्फ बोर्ड को आड़े हाथों लेते हुए कहा कि 2010 में आए इलाहाबाद हाइकोर्ट के फैसले के मुताबिक जमीन के एक तिहाई हिस्से पर हक उनका है ना कि सुन्नी वफ्फ बोर्ड का। सुन्नी बोर्ड का दावा पूरी तरह से गलत है। ऐसे में शिया वक्फ बोर्ड को पक्षकार बनाया जाना चाहिए। बोर्ड ने यह मांग भी की है कि इस मामले को एक कमेटी की ओर से सुलझाया जाना चाहिए।