उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। फैसला आने के बाद जिस प्रकार हर वर्ग ने, हर समुदाय ने, हर पंथ के लोगों ने, पूरे देश ने खुले दिल से इसे स्वीकार किया है, वो भारत की पुरातन संस्कृति,परंपराओं और सद्भाव की भावना को प्रतिबिंबित करता है।
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– अब समाज के नाते, हर भारतीय को अपने कर्तव्य, अपने दायित्व को प्राथमिकता देते हुए काम करना है। हमारे बीच का सौहार्द, हमारी एकता, हमारी शांति, देश के विकास के लिए बहुत महत्वपूर्ण है
– सर्वोच्च अदालत का ये फैसला हमारे लिए एक नया सवेरा लेकर आया है। इस विवाद का भले ही कई पीढ़ियों पर असर पड़ा हो, लेकिन इस फैसले के बाद हमें ये संकल्प करना होगा कि अब नई पीढ़ी, नए सिरे से न्यू इंडिया के निर्माण में जुटेगी
– नए भारत में भय, कटुता, नकारात्मकता का कोई स्थान नहीं है – आज अयोध्या पर फैसले के साथ ही, 9 नवंबर की ये तारीख हमें साथ रहकर आगे बढ़ने की सीख भी दे ही है।
आज के दिन का संदेश जोड़ने का है-जुड़ने का है और मिलकर जीने का है
– सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले के पीछे दृढ़ इच्छाशक्ति दिखाई है। और इसलिए, देश के न्यायधीश, न्यायालय और हमारी न्यायिक प्रणाली अभिनंदन के अधिकारी हैं – भारत की न्यायपालिका के इतिहास में भी आज का ये दिन एक स्वर्णिम अध्याय की तरह है। इस विषय पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने सबको सुना, बहुत धैर्य से सुना और सर्वसम्मति से फैसला दिया
– फैसला आने के बाद जिस प्रकार हर वर्ग ने, हर समुदाय ने, हर पंथ के लोगों ने, पूरे देश ने खुले दिल से इसे स्वीकार किया है, वो भारत की पुरातन संस्कृति,परंपराओं और सद्भाव की भावना को प्रतिबिंबित करता है
– आज सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐसे महत्वपूर्ण मामले पर फैसला सुनाया है, जिसके पीछे सैकड़ों वर्षों का एक इतिहास है। पूरे देश की ये इच्छा थी कि इस मामले की अदालत में हर रोज़ सुनवाई हो, जो हुई, और आज निर्णय आ चुका है
– फैसले के बाद पूरी न्यायिक प्रक्रिया का समापन हुआ
पहले माना जा रहा था कि प्रधानमंत्री अयोध्या विवाद पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले की रोशनी में राष्ट्र को संबोधित करेंगे। हालांकि प्रधानमंत्री मोदी ने फैसला आने के बाद एक के बाद एक कई ट्वीट करते हुए कहा था कि सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला ना किसी की जीत है और ना किसी की हार। हमारे देश की परंपरा आपसी सौहार्द और भाईचारा का रहा है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में विवादित भूमि को राम जन्मभूमि न्यास को सौंप दिया है। साथ ही मुस्लिम पक्षकार को अयोध्या में ही किसी मुफीद जगह पर 5 एकड़ जमीन देने का आदेश दिया गया है।