हम बात कर रहे हैं रणजीत सिंह राणा की जो लम्बे समय तक पुलिस से बचता आया है। पुलिस ने इसे बाद में भगोड़ा भी घोषित कर दिया था। जिस पर साल 1991 में टाडा एक्ट के तहत सदर थाना फगवाड़ा में मामला दर्ज किया गया था। राणा पर हत्या, आतंकवाद समेत आर्म्स एक्ट के 5 मामले दर्ज है। इनमें 1 मामले में उसे सजा हो चुकी है। में उसे सजा, 2 मामले अदालत में लंबित और 2 में उसे बरी किया जा चुका है। जिला पुलिस लाइन में एस.एस. पी. संदीप शर्मा ने पत्रकारों से बातचीत में बताया कि एस.पी. जगजीत सिंह सरोआ की निगरानी में पी.ओ. स्टाफ कपूरथला के इंस्पेक्टर सुलखान सिंह ने पुलिस पार्टी के साथ नाकाबंदी की हुई थी। इस दौरान सूचना मिली कि पूर्व आतंकी रणजीत सिंह इस समय आसपास के क्षेत्र में घूम रहा है। इस पर पुलिस ने छापामारी कर आतंकी रणजीत सिंह को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में उसने बताया कि वह खालिस्तान टाइगर फोर्स तथा बब्बर खालसा के लिए काम करता रहा है।
पुलिस के अनुसार साल 1993 में राणा गिरफ्तारी के डर से उत्तर प्रदेश के सहारनपुर जिले भाग गया और वहां एक गावं के गुरूद्वारे में ग्रन्थी बन गया । साल 1997 में वह जलन्धर में दर्ज एक मामले में 2 साल की सजा काटने के बाद दोबारा सहारनपुर चला गया। उसके बाद साल 2004 में जालन्धर के गुरद्वारा साहिब में ग्रंथी बन गया । पकडे गए आरोपी राणा के अनुसार 1984 के सिख दंगो के असर के चलते ही उसने आपराधिक गतिविधियां शुरू की थी। आरोपी के अनुसार वह भिंडरांवाला टाईगर फोर्स का एक्टिव मेम्बर रहा है। इसी के चलते उसे मृत घोषित कर श्रद्धांजलि भी दी जा चुकी है।