पढ़ें-
LPG सिलेंडर की होम डिलीवरी के नियमों में एक नवंबर से होने जा रहा है बदलाव, जानें क्यों लिया गया यह फैसला? बाबरी विध्वंस केस में नया मोड़ जानकारी के मुताबिक, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की दो दिनों से मीटिंग चल रही थी। इस बैठक में बाबरी विध्वंस मामले को भी उठाया गया। क्योंकि, सीबीआई कोर्ट ने बाबरी विध्वंस को लेकर जो फैसला सुनाया था। उससे ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड नाराज था। बोर्ड के सचिव जफरयाब जिलानी ने तो इस पूरे फैसले पर काफी हैरानी भी जताई थी। लिहाजा, ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक में उस मुद्दो को उठाया गया और हाईकोर्ट में सीबीआई कोर्ट के फैसले को चुनौती देने का एक सहमत से निर्णय लिया गया। गौरतलब है कि सितंबर महीने में सीबीआई की विशेष अदलात ने तकरीबन 28 साल बाद बाबरी विध्वंस केस में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने अपने फैसले में साक्ष्य के अभाव में लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती समेत सभी 32 आरोपियों को बरी कर दिया था। हालांकि, उस वक्त भी कोर्ट के फैसले पर मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने कड़ी आपत्ति जताई थी।
पढ़ें-
Weather Forecast: मुंबई समेत इन इलाकों में बरपेगा ‘आसमानी कहर’, गरज के साथ बारिश की संभावना CBI कोर्ट के फैसले पर उठा सवाल बोर्ड के सचीव जफरयाब जिलानी ने कहा था कि सीबीआई कोर्ट का यह फैसला पूरी तरह से नाइंसाफी है। वहीं, AIMPLB के सचिव मौलाना वली रहमानी ने कोर्ट के फैसले के खिलाफ एक पत्र जारी कर इसे नाइंसाफी बताया था और कहा था कि यह नाइंसाफी का यह एक मिसाल है। मौलाना वली रहमानी ने यह भी कहा था कि यह फैसला पूरी तरह न्याय से दूर है। उनका कहना था कि इस मामले में कोर्ट ने भले ही कोई फैसला सुनाया था। लेकिन, सबने वीडियो और तस्वीरों में देखा था कि किस तरह से बाबरी विध्वंस हुआ था। बैठक में राम मंदिर और जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने का मामला भी उठा गया है। अब देखना ये है कि कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड हाईकोर्ट में कब तक चुनौती देता है।