रविशंकर प्रसाद ने संसद में बताया था, पिछले साल 25,600 मामले सामने आए थे
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने संसद में भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा था कि पिछले साल 21 दिसंबर तक बैंकों के साथ धोखाधड़ी के 25,600 मामले सामने आए थे। इनमें बैंकों को करीब 179 अरब रुपए की चपत लगाई गई। 2017 के वित्तीय वर्ष के पहले तीन तिमाही में बैंकों के साथ एक लाख या इससे ज्यादा राशि की धोखाधड़ी के करीब 455 मामले आईसीआईसीआई बैंक में, 429 मामले भारतीय स्टेट बैंक में, 244 मामले स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक में और 237 मामले एचडीएफसी बैंक में सामने आए थे। वहीं, अप्रैल से दिसंबर 2016 के दौरान बैंकों से धोखाधड़ी करने के 3500 से ज्यादा मामले सामने आए थे। बैंकों के साथ धोखाधड़ी में बैंककर्मी भी शामिल पाए गए हैं। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 2011 में खुलासा किया था कि बैंक ऑफ महाराष्ट्र, ओरियंटल बैंक ऑफ कामर्स और आईडीबीआई जैसे बैंकों के कर्मियों ने करीब 10 हजार फर्जी खाते खोले और 15 हजार करोड़ रुपये के ऋण जारी किए। रिपोर्ट के मुताबिक, 2014 में भी बैंकों के साथ धोखाधड़ी के मामले सामने आए थे, जब मुंबई पुलिस ने 700 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी के मामले में नौ प्राथमिकी दर्ज की थी। इसी साल इलोक्ट्रो थर्म इंडिया कंपनी सेंट्रल बैंक को 436 करोड़ रुपए का भुगतान करने में नाकाम रही थी। इसके अलावा कोलकाता के उद्यमी बिपिन वोहरा ने कथित रूप से फर्जी दस्तावेजों के सहारे सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया से 140 करोड़ रुपए हासिल किए थे।
विभिन्न बैंकों के कर्मचारी भी धोखाधड़ी में शामिल
आईआईएम बेंगलूरु के अध्ययन के मुताबिक, 2015 में जैन इंफ्रा प्रोजेक्ट के कर्मचारियों ने सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया को करीब 200 करोड़ रुपए का चूना लगाया था। हैरानी की बात यह है कि इसी वर्ष विभिन्न बैंक के कर्मचारी नकली हांगकांग कॉरपोरेशन बनाकर धोखाधड़ी में लिप्त पाए गए थे। इन लोगों ने मिलकर बैंक को करीब 600 करोड़ रुपए का चूना लगाया था। अध्ययन में कहा गया है कि 2016 में सिंडिकेट बैंक धोखाधड़ी का मामले सबसे बड़े मामलों में से एक है। इसमें 4 लोगों ने मिलकर करीब 380 खाते खोले और फर्जी चेक, एलआईसी पॉलिसी और लेटर ऑफ अंडरस्टैंडिंग (एलओयू) के माध्यम से बैंक को करीब 10 अरब रुपए का घाटा पहुंचाया। फर्जी लेटर ऑफ अंडर स्टैंडिंग (एलओयू) के बारे में बताते हुए इलाहाबाद विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर और विख्यात अर्थशास्त्री डॉ. विजय कौल ने बताया कि एलओयू किसी भी कारोबारी की कंपनी और उसके क्रेडिट स्कोर को देख कर बैंक की ओर से जारी किए जाते हैं और नीरव मोदी समेत सभी बड़े कारोबारियों को बैंक के अधिकारियों ने ही जारी किए। लेकिन, कारोबारियों ने बैंक के अधिकारियों को पैसा खिलाकर एलओयू हासिल किए। इसके परिणाम हमारे सामने हैं। उन्होंने कहा कि बैंकिंग प्रणाली हमेशा विश्वास पर चलती है, लेकिन यहां कुछ लोगों ने अपने फायदे के लिए जालसाजी करके बैंकों को चूना लगाया।
2017 में विजय माल्या भाग निकले देश से
बैंकों के साथ धोखाधड़ी मामले में सबसे अहम खुलासा तब हुआ, जब 2017 में शराब कारोबारी और किंगफिशर विमानन कंपनी के मालिक विजय माल्या ने आईडीबीआई और दूसरे बैंकों को करीब 9,500 करोड़ रुपए का चूना लगाकर देश से भाग निकले। इसी वर्ष भारत की दूसरी कंपनी विनसम डायमंड सुर्खियों में आई। इस कंपनी पर करीब 7 हजार करोड़ रुपए की देनदारी का मामला है। सीबीआई ने समूह के खिलाफ 6 एफआईआर दर्ज की। इसके अलावा डेक्कन क्रॉनिकल ने बैंकों को करीब 11.61 अरब करोड़ रुपए का नुकसान पहुंचाया। वहीं 2017 में कोलकाता के बिजनेस टाइकून निलेश पारिख को कम से कम 20 बैंकों को 22.23 अरब रुपए का नुकसान पहुंचाने के लिए गिरफ्तार किया गया था।
2018 में नीरव मोदी ने लगाया चूना
2018 में हीरा कारोबारी नीरव मोदी ने पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) को करीब 11,450 करोड़ रुपया का चूना लगाया। मोदी ने पीएनबी के अलावा 17 अन्य बैंकों से करीब 3 हजार करोड़ रुपए का ऋण ले रखा था। बता दें कि नीरव मोदी को पीएनबी ने करीब 150 एलओयू जारी किए थे।
अर्थशास्त्री विजय कौल के अनुसार, बैंकों के निजीकरण से बढ़ेगा संकट
अर्थशास्त्री डॉ. विजय कौल से यह पूछने पर कि हीरा, शराब और जेम्स कारोबारियों की ओर से बैंकों के साथ धोखाधड़ी कर विदेश भाग जाने से देश की जनता पर बैंकों के प्रति कैसा प्रभाव पड़ेगा, उन्होंने कहा कि लोगों को पता है कि उनका पैसा सरकारी बैंकों में है और उसके पीछे सरकार का समर्थन है। इससे उन्हें डरने की जरूरत नहीं है। इनके भागने से उन पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। हां, लेकिन यह बैंकों के निजीकरण की मांग कर रहे लोगों के लिए जरूर एक बहुत बड़ा धक्का है, क्योंकि अगर यहां भी अमरीका जैसे विकसित देश की तरह बैंकों का निजीकरण हो जाएगा तो जैसा हाल (आर्थिक संकट) वहां 2007 में हुआ था, ठीक वैसा ही भारत में देखने को मिलता।
विदेशी कारोबारियों पर नहीं पड़ेगा इसका असर
निवेश को इच्छुक विदेशी कारोबारी के मन में इन घोटालों के कारण भारत की छवि के बारे में अर्थशास्त्री विजय कौल ने कहा कि निवेशक के मन में भारत की छवि को लेकर इन घोटालों का ज्यादा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि उन्हें यहां के हालात की जानकारी है और उन्हें पता है कि कहां निवेश करना बेहतर रहेगा।