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किसी को नपुंसक कहने से पहले रहें सावधान, वरना खानी पड़ सकती है जेल की हवा

locationनई दिल्लीPublished: Nov 11, 2018 07:23:38 pm

Submitted by:

Anil Kumar

बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति को नपुंसक कहना मानहानि के बराबर है।

किसी को नपुंसक कहने से पहले रहें सावधान, वरना खानी पड़ सकती है जेल की हवा

किसी को नपुंसक कहने से पहले रहें सावधान, वरना खानी पड़ सकती है जेल की हवा

नई दिल्ली। आपने अक्सर किसी लड़ाई या झगड़े के दौरान यह सुना होगा कि कोई किसी को नामर्द या नपुसंक कह देता है, लेकिन अब इस शब्द को बोलने से पहले आप हो जाएं सावधान, नहीं तो खानी पड़ सकती है जेल की हवा। दरअसल बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि किसी व्यक्ति को नपुंसक कहना मानहानि के बराबर है। बॉम्बे हाईकोर्ट की नागपुर बेंच ने कहा कि किसी भी पुरुष को नपुंसक कहना उसके पौरुष पर सवाल खड़े करता है और दूसरों के मन में उसके प्रति नकारात्मक भाव पैदा होता है, इसिलए यह मानहानि के बराबर है।

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कोर्ट ने इस मामले को लेकर सुनाया यह फैसला

आपको बता दें कि कोर्ट ने एक महिला की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने अपने पति की ओर से किए गए आपराधिक केस को खारिज कर दिया जाए। दरअसल महिला के पति ने कोर्ट में यह शिकायत दर्ज कराई थी कि उसकी पत्नी उसे नपुंसक समझती है और आरोप भी लगाती है। जस्टिस सुनील शुकरे की एकल बेंच ने अपने फैसले में कहा, ‘प्रथम दृष्टया ‘नपुंसक’ का सीधा और सादा सा अर्थ यही है कि यह किसी व्यक्ति की पौरुष क्षमता पर सवाल खड़े करता है। इसके अलावे दूसरों के मन में उसके प्रति नकारात्मक विचार पैदा करता है। इसलिए किसी व्यक्ति के लिए इस शब्द का इस्तेमाल करना और प्रकाशन करना आईपीसी 499 के तहत मानहानि की श्रेणी में आएगा और आईपीसी 500 के तहत उसे इसके लिए सजा भी हो सकती है। पति ने अपनी पत्नी के इसी हरकत के लिए तलाक लेने के लिए आधार बनाया है और तलाक मांगा है।

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कब का है यह मामला

आपको बता दें कि 21 नवंबर 2016 को महिला अपने मायके चली गई। महिला ने आरोप लगाया कि उसका पति नपुंसक है। इस आधार पर महिला ने तलाक के लिए कोर्ट में अर्जी भी दी, जिसपर सुनवाई करते हुए उनकी बेटी की कस्टडी कोर्ट ने पिता को दी। अब इस फैसले के खिलाफ महिला हाईकोर्ट पहुंची और आरोप लगाया कि उसका पति नपुंसक है, शारीरिक संबंध बनाने में अक्षम है। इसपर क्षुबंध होकर पति ने अपनी पत्नी और ससुरवालों के खिलाफ मानहानी (आईपीसी 500), आईपीसी 506 (धमकी देना) के तहत केस दर्ज कराया। इसके बाद जुडिशल मैजिस्ट्रेट ने जांच का आदेश दिए। पत्नी और गवाहों के बयान दर्ज कराने के बाद कोर्ट ने बीते वर्ष 24 जुलाई को पत्नी के खिलाफ आईपीसी 500 और 506 के तहत केस दर्ज करने का आदेश दिया। जिसे पत्नी ने हाई कोर्ट में चुनौती दी। अब महिला ने कोर्ट में कहा कि वह पति की नपुंसकता को सार्वजनिक नहीं करना चाहती थी लेकिन इनकी हरकतों से परेशान होकर वह ऐसा करने पर मजबूर हो गई। उन्होंने कहा कि उसकी बेटी मेडिकल ओवुलेशन प्रक्रिया से पैदा हुई है।

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