दोनों तारीखों पर हो सकता है बवाल 14 अप्रैल को डॉ. भीमराव आंबेडकर और 18 अप्रैल को परशुराम जयंती पड़ रही है। इसी के चलते कई शहरों को संवेदनशील घोषित कर कानून व्यवस्था की पुख्ता तैयारियां की जा रही हैं। गौरतलब कि सरकार को चिंता सता रही है कि इन दो तारीखों को भुनाने के लिए विपक्षी दल आग में घी डालने का काम न करें। ऐसे में काफी जानमाल का नुकसान हो सकता है। सरकार को डर है की सोशल मीडिया के सहारे अराजक तत्व इसे हवा देकर दंगें न भड़का दें।
सोशल मीडिया पर बनाए है कड़ी नजर पुलिस सोशल मीडिया पर कड़ी नजर बनाए हुए है। भड़काऊ पोस्ट करने वालों पर कड़ी कार्रवाई की बात पुलिस ने कही है। इसके अलावा पुलिस ने अपील की है कि अफवाहों पर ध्यान न दें। प्रशासन की तरफ से पुलिस को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि किसी तरह की कोई कोताही न बरती जाए।
भारत बंद का असर एससी/एसटी एक्ट में बदलाव के खिलाफ दलित संगठनों ने दो अप्रैल को देशभर में प्रदर्शन किया। इसके बाद यह धीरे-धीरे यह हिंसक होता चला गया। भारत बंद के आह्वान पर देश के अलग-अलग शहरों में दलित संगठन और उनके समर्थकों ने ट्रेन रोकीं और सड़कों पर जाम लगाया। यूपी से लेकर बिहार, मध्यप्रदेश और राजस्थान समेत कई राज्यों में जमकर तोड़फोड़ हुई और आगजनी की घटनाएं सामने आई हैं।