कोलकाता में मंगलवार को हड़ताल के पहले दिन बसों पर पथराव किया गया था. इसलिए बुधवार को पुलिस ने बस ड्राइवरों को हेलमेट लगाकर काम करने को कहा है। हड़ताल को विफल करने के लिये कई जगहों पर हड़ताल समर्थकों पर हमले किये गये। हड़ताल के दूसरे दिन हमले हुए, तो इसका उपर्युक्त जवाब दिया जायेगा। यह बात माकपा के प्रदेश सचिव डॉ सूर्यकांत मिश्रा ने कहीं।
उन्होंने कहा कि मंगलवार को सरकारी बसें चलायी गयीं और कथित तौर पर कुछ निजी वाहनों को जबरन सड़कों पर उतारा गया, लेकिन अन्य दिनों की तुलना में यात्रियों की संख्या कम रही। हड़ताल का असर राज्य के हर क्षेत्रों में देखा गया. उन्होंने हड़ताल के दूसरे दिन भी जनसमर्थन का आह्वान किया है।
तमिलनाडु में भी कर्मचारियों को चेतावनी
उधर तमिलनाडु में भी आज लगभग १२ लाख कर्मचारी बंद से जुड़ रहे हैं. तमिलनाडु सरकार ने कर्मचारियों को बंद में शामिल न होने की चेतावनी दी है, इसके बावजूद विभिन्न सरकारी विभागों से आठ लाख सरकारी कर्मचारी प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं. वहीं ३ लाख शिक्षक और १.५ लाख केंद्रीय सरकारी कर्मचारी भी इस प्रदर्शन में शामिल होंगे।
ये है हड़ताल की वजह
जनविरोधी नीतियों के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियन और फेडरेशन समूह का दो दिवसीय हड़ताल जारी है। यूनियनों ने सरकार पर श्रमिकों विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने श्रमिकों के मुद्दों पर उसकी १२ सूत्री मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया है. उनका यह भी कहना है कि श्रम मामलों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह ने दो सितंबर, २०१५ के बाद यूनियनों को बातचीत के लिए एक बार भी नहीं बुलाया है।
जनविरोधी नीतियों के खिलाफ केंद्रीय ट्रेड यूनियन और फेडरेशन समूह का दो दिवसीय हड़ताल जारी है। यूनियनों ने सरकार पर श्रमिकों विरोधी नीतियां अपनाने का आरोप लगाया है. उन्होंने आरोप लगाया है कि सरकार ने श्रमिकों के मुद्दों पर उसकी १२ सूत्री मांगों पर कोई ध्यान नहीं दिया है. उनका यह भी कहना है कि श्रम मामलों पर वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में गठित मंत्रियों के समूह ने दो सितंबर, २०१५ के बाद यूनियनों को बातचीत के लिए एक बार भी नहीं बुलाया है।
हड़ताल के पहले दिन जो लोग हड़ताल के विरोध के लिये उतरे, संभवत: वे भी जनविरोधी नीति के पक्षधर हैं। कांग्रेस विधायक और विधानसभा में विपक्ष के नेता अब्दुल मन्नान ने आरोप लगाया कि राज्य सरकार ने ट्रेड यूनियनों की हड़ताल को विफल करने की सक्रिय कोशिश की। ऐसा समूचे देश में और कहीं नहीं देखने को मिला। मन्नान ने राज्य सरकार की इसके लिए कड़ी निंदा की।