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भीम आर्मी चीफ चंद्रशेखर आजाद की घोषणा, 23 फरवरी को बुलाएंगे भारत बंद

locationनई दिल्लीPublished: Feb 16, 2020 08:45:54 pm

सुप्रीम कोर्ट के आरक्षण के फैसले का कर रहे विरोध।
रविवार को निकाला मंडी हाउस से संसद तक मार्च।
कहा- आरक्षण है वंचित तबके का मौलिक अधिकार।

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर (फाइल फोटो)

भीम आर्मी प्रमुख चंद्रशेखर (फाइल फोटो)

नई दिल्ली। भीम आर्मी के मुखिया चंद्रशेखर आजाद ने रविवार को मंडी हाउस से संसद तक आयोजित आरक्षण बचाओ मार्च का नेतृत्व किया। मार्च में भीम आर्मी के काफी सदस्यों ने हिस्सा लिया। इस दौरान आजाद ने घोषणा की कि वह 23 फरवरी को भारत बंद बुलाएंगे।
दरअसल बीते 7 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला दिया था कि सरकारी नौकरियों में प्रमोशन के लिए आरक्षण मौलिक अधिकार नहीं है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि राज्यों को यह निर्देश नहीं दिया जा सकता है कि वो अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के सदस्यों को प्रमोशन दें।
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सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का विरोध करते हुए मीडिया से बातचीत में भीम आर्मी के प्रमुख चंद्रशेखर आजाद ने कहा कि वंचित वर्गों में आरक्षण एक मौलिक अधिकार है और कोई भी इसे उनसे नहीं छीन सकता।
https://twitter.com/ANI/status/1228967239186911232?ref_src=twsrc%5Etfw
उन्होंने कहा, “हम यह विरोध मार्च इसलिए आयोजित कर रहे हैं ताकि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ अपनी असहमति दर्ज करा सकें और हम आगामी 23 फरवरी को भारत बंद बुलाएंगे।”

उन्होंने यह भी कहा कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) और नेशनल रजिस्टर ऑफ सिटिजंस (NRC) जैसे कानून देश में काम नहीं करेंगे। हम जबतक विरोध करेंगे जब तक हमें हमारे अधिकार नहीं मिल जाते।
बीते 11 फरवरी को आजाद ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के खिलाफ एक पुनर्विचार याचिका दायर की थी, जिसमें कहा गया था कि इसने संवैधानिक प्रावधानों को कमजोर किया है।

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बता दें कि 7 फरवरी को सर्वोच्च न्यायालय में न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राव और न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता की पीठ ने अपने फैसले में कहा, “इसमें कोई शक नहीं है कि प्रदेश सरकार आरक्षण देने को प्रतिबद्ध नहीं है, लेकिन किसी शख्स का इसे लेकर दावा करना मौलिक अधिकारों का हिस्सा नहीं है और न ही इसे लेकर अदालत प्रदेश सरकार को कोई आदेश जारी कर सकता है।”
सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश उत्तराखंड सरकार की उस अपील पर आया था जिसमें उसने हाईकोर्ट के आदेश को चुनौती दी थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार को निर्देश दिया था कि पदोन्नति में आरक्षण देने के लिए सांख्यिकी आंकड़े जुटाए जाएं। इससे यह पता चल सकेगा कि सरकारी नौकरियों में SC-ST वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्व है या नहीं और फिर पदोन्नति में आरक्षण दिया जा सके।
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