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भीमा कोरेगांव मामला: गौतम नवलखा की याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित

Published: Jul 26, 2019 05:34:42 pm

Submitted by:

Shivani Singh

Gautam Navlakha Petition पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनावाई
कोर्ट ने फैसला रखा सुरक्षित
भीमा कोरेगांव मामले में है आरोपी

Bombay HC

नई दिल्ली। भीमा कोरेगांव मामले में आरोपी कार्यकर्ता गौतम नवलखा ने बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। इस याचिका पर शुक्रवार को कोर्ट में सुनवाई हुई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने नवलखा की याचिका ( gautam navlakha Petition ) पर फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस याचिका में नवलखा ने अदालत से पुणे पुलिस की ओर से उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने की मांग की थी।

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दरअसल, पुणे पुलिस ने 25 जुलाई को बॉम्बे उच्च न्यायालय को बताया था कि गौतम नवलखा का आतंकी संगठन हिज्बुल मुजाहिद्दीन ( hizbul mujahideen ) से संपर्क था।

पुणे पुलिस की ओर से पेश वकील अरुणा पाई ने हाईकोर्ट को बताया था कि भीमा कोरेगांव मामले में सह-आरोपी रौना विल्सन और सुरेंद्र गाडलिंग के पास से एक लैपटॉप मिला था।

इस लैपटॉप में कई ऐसी जानकारी मिलीं जिससे यह पता चलता है कि नवलखा और उससे जुड़े विभिन्न नक्सल समूहों ने हिज्बुल के शीर्ष नेताओं से बातचीत की थी।

पुणे पुलिस की ओर से कोर्ट में यह दावा किए जाने के बाद जस्टिस रंजीत मोरे और भारती डोंगरे की बेंच ने नवलखा की गिरफ्तारी पर लगी रोक अगले आदेश तक बढ़ा दी थी।

इससे पहले अदालत ने नवलखा की की गिरफ्तारी पर 23 जुलाई तक अंतरिम रोक लगाई थी।

Bhima Koregaon
गौरतलब है कि भीमा कोरेगांव मामले ( Bhima Koregaon case ) में आरोपी नवलखा और कई अन्य सामाजिक कार्यकर्ता, नक्सलियों से कथित संबंधों के आरोप में मुकदमे का सामना कर रहे हैं।
मीडिया रिपोर्ट की मानें तो 2011 से ही नवलखा हिज्बुल के अलावा विभिन्न प्रतिबंधित आतंकी संगठनों से संबंध बनाने में लगे हुए थे।

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कौन हैं गौतम नवलखा

 Gautam Navlakha

बता दें कि गौतम नवलखा दिल्ली के रहने वाले हैं। 65 साल नवलखा पेशे से पत्रकार रहे हैं। वह मानवाधिकार के मुद्दों पर बेबाकी से अपने विचार रखते रहे हैं।

पिछले दो दशकों में वह कई बार कश्मीर का दौरा कर चुके हैं। उनके कुछ ऐसे वीडियो भी सामने आए थे जो काफी विवादित रहे थे।

31 दिसंबर, 2017 को पुणे के एलगार परिषद में एक सम्मेलन आयोजित किया गया था। सम्मेलन में भड़काऊ भाषण दिए गए थे।

इसके अगले दिन ही पुणे के कोरेगांव में हिंसा हुई थी। इस मामले में एफआईआर दर्ज कराई गई थी। इसके बाद 28 अगस्त, 2018 को पुलिस ने छापेमारी कर कई वामपंथी कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया था। उनमें से एक गौतम नवलखा भी थे।

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