छात्राओं पर लाठीचार्ज गौरलतब है कि वीसी गिरीश चंद्र त्रिपाठी इसी साल 26 नवंबर को विश्वविद्यालय के कुलपति पद से रिटायर होंगे। ऐसे में सूत्रों ने बताया कि वह फिलहाल अपने पद पर बने रहेंगे। दरअसल बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में लड़कियों के साथ हुई छेड़छाड़ के विरोध को लेकर 22 सितंबर से धरना प्रदर्शन कर रही थी। अचानक 24 सितंबर को प्रदर्शनकारियों पर लाठीचार्ज कर दिया गया। जिसके बाद मामला तूल पकड़ लिया। वीसी को हटाने की मांग तेज हो गई। मुख्यमंत्री ने कमेटी गठित कर रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए। मंगलवार को कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपी, जिसमें इस पूरे मामले में उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन को जिम्मेदार ठहराया। कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दलों ने कुलपति को तत्काल हटाने की मांग की है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएचयू प्रशासन ने पीड़िता की शिकायत पर संवेदनशील तरीके से गौर नहीं किया और वक्त रहते इसका समाधान नहीं किया गया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर वक्त रहते इस मामले को सुलझा लिया गया होता, तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता।
कमिश्नर ने विवि प्रबंधन को दोषी ठहराया कमिश्नर नितिन गोकर्ण ने मुख्य सचिव राजीव कुमार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी। रिपोर्ट में उन्होंने विश्वविद्यालय के प्रशासन को दोषी ठहराया है। इस बीच बीएयचू प्रशासन ने इस पूरे मामले की न्यायिक जांच कराने का फैसला किया है। शासन से जुड़े एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, गोकर्ण ने अपनी रिपोर्ट मुख्य सचिव को भेज दी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि बीएचयू प्रशासन ने पीड़िता की शिकायत पर संवेदनशील तरीके से गौर नहीं किया और वक्त रहते इसका समाधान नहीं किया गया. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर वक्त रहते इस मामले को सुलझा लिया गया होता, तो इतना बड़ा विवाद खड़ा नहीं होता।
संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वालों पर कार्रवाई
इस बीच, कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने अपने बचाव में कहा कि कार्रवाई उन लोगों पर की गई, जो विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे। उन्होंने कहा कि छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज और परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने की बात को झुठलाते कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे को प्रभावित करने के लिए ‘बाहरी तत्वों’ ने कैम्पस का माहौल बिगाड़ा। वीसी त्रिपाठी ने कहा कि सबसे पहले, यह यौन उत्पीड़न की घटना नहीं है, यह एक छेड़छाड़ का मामला है।
इस बीच, कुलपति गिरीश चंद्र त्रिपाठी ने अपने बचाव में कहा कि कार्रवाई उन लोगों पर की गई, जो विश्वविद्यालय की संपत्ति को नुकसान पहुंचा रहे थे। उन्होंने कहा कि छात्राओं पर हुए लाठीचार्ज और परिसर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम न होने की बात को झुठलाते कहा कि प्रधानमंत्री के दौरे को प्रभावित करने के लिए ‘बाहरी तत्वों’ ने कैम्पस का माहौल बिगाड़ा। वीसी त्रिपाठी ने कहा कि सबसे पहले, यह यौन उत्पीड़न की घटना नहीं है, यह एक छेड़छाड़ का मामला है।
यह मुद्दा बनाया गया था उन्होंने कहा कभी-कभी मुद्दे होते हैं और कुछ मुद्दे पैदा होते हैं। यह मुद्दा बनाया गया था। मुझे लगता है कि यह समस्या बाहरी लोगों द्वारा बनाई गई थी और जो इस मामले ने अंत में जो आकार लिया वह प्रारंभिक घटना से भी ज्यादा दुर्भाग्यपूर्ण है। छात्राएं ऐसी चीज के लिए खड़ी हुई थीं जो सच की तरह दिखता था लेकिन वह झूठ था। यदि लड़कियों पर फोर्स का इस्तेमाल किया गया, तो मुझे कोई जानकारी नहीं है। यह काफी बड़ा परिसर है, कहीं भी कुछ भी हो सकता है. हम हर छात्रा को गार्ड नहीं दे सकते। वीसी ने यहां तक कह डाला कि अगर हम हर लड़की की हर मांग को सुनने लगें तो हम विश्वविद्यालय नहीं चला पाएंगे। प्रोफेसर त्रिपाठी के मुताबिक छात्राओं का विरोध प्रदर्शन एक छोटी सी घटना पर है