मंगलवार को भी लोग नकदी के लिए घंटों कतार में लगे रहे और इसी कतार में दो और बुजुर्गों ने दम तोड़ दिया
नई दिल्ली/हैदराबाद/पटना। नोटबंदी से त्रस्त देशवासियों का कतार में खड़े रहना जारी है। मंगलवार को भी लोग नकदी के लिए घंटों कतार में लगे रहे और इसी कतार में दो और बुजुर्गों ने दम तोड़ दिया। पटना से खबर है कि मोदी सरकार द्वारा 500 और 1000 के नोटों पर प्रतिबंध लगाए जाने के सातवें दिन मंगलवार को औरंगाबाद जिले के दाऊदनगर में बैंक से पैसे लेने आए एक बुजुर्ग की मौत हो गई।
पुलिस के अनुसार, भारतीय स्टेट बैंक की दाऊदनगर शाखा में पैसे निकालने पहुंचे 65 वर्षीय सुरेंद्र कुमार शर्मा की मौत हो गई। दाऊदनगर के थाना प्रभारी रवि प्रकाश सिंह ने मंगलवार को बताया कि अरई गांव निवासी सुरेंद्र ने रकम निकालने के लिए निकासी फॉर्म भरा और पंक्ति में लग गए। इस दौरान यहां भारी भीड़ थी और धक्का-मुक्की भी हो रही थी। कुछ समय बाद ही उन्हें चक्कर आया और वह गिर पड़े। स्थानीय लोगों ने अस्पताल पहुंचाया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी।
उन्होंने परिजनों के हवाले से बताया कि सुरेंद्र दिल के मरीज थे। चिकित्सकों ने भी आशंका जताई कि सुरेंद्र की मौत दिल का दौरा पडऩे से हुई है। सरकार ने बैंकों में बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए अलग काउंटर लगाने का निर्देश दिया है, लेकिन कई जगहों पर ऐसी व्यवस्था नहीं की गई है।
पूरे बिहार में नोट बदलने के लिए बैंकों में भारी भीड़ लगी रही। एटीएम में 100 के नोट पर्याप्त न होने के कारण लोग परेशान दिखे। लेकिन, राहत की बात रही कि कई शहरी क्षेत्रों में अफरातफरी की स्थिति नहीं दिखी।
दरभंगा के लहरियासराय प्रधान डाकघर पर भीड़ अनियंत्रित हो गई। हालात पर काबू पाने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा। प्रधान डाकघर में पुराने नोट बदलने को लेकर भारी भीड़ थी। इसी दौरान कुछ लोग कतार तोड़कर आगे जाना चाह रहे थे। इसका अन्य लोगों ने विरोध किया। इस बात पर तू-तू मैं-मैं होने लगी और स्थिति मारपीट तक पहुंच गई, जिससे भगदड़ का माहौल बन गया। भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पुलिस को हल्का बल प्रयोग करना पड़ा।
हैदराबाद के जुड़वां शहर सिकंदराबाद के मारेदापल्ली स्थित आंध्र बैंक की शाखा में लक्ष्मीनारायण (75) नामक बुजुर्ग चकरा कर गिर पड़े। वह दो घंटे से लाइन में खड़े थे। उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। चिकित्सकों ने कहा कि ह्रदयाघात की वजह से उनकी मौत हो गई। सिकंदराबाद की रेलवे कॉलोनी निवासी लक्ष्मीनारायण 500 व 1000 के 1.7 लाख रुपये मूल्य के नोट बदलवाने गए थे।
प्रत्यक्षदर्शियों ने कहा कि बैंक में बहुत भीड़ थी। लेकिन, इसके बावजूद बुजुर्गों के लिए बैंक ने अलग लाइन नहीं लगवाई। हैदराबाद में लोगों ने यह शिकायत भी की कि बैंक अधिकारी जान-पहचान वालों या फिर रसूख वालों की ही सुन रहे हैं।
पूरे देश में नोट बदलवाने या नकदी निकालने को लेकर ऐसा ही दृश्य दिखा। रोजमर्रा की जिंदगी को चलाने में परेशानी महसूस कर रहे लोग घंटों लाइन में लगे रहे। इसके बावजूद कई लोग खाली हाथ लौटे। बैंकों पर अफरातफरी की स्थिति बनी रही। सुरक्षाकर्मियों को हालात संभालने में मशक्कत करनी पड़ी।
सरकार ने इस मारामारी के लिए उन लोगों को जिम्मेदार ठहराया, जो अपना काला धन सफेद बनाने के लिए अपने एजेंटों को बार-बार बैंक भेज रहे हैं। सरकार ने तय किया है कि अब बैंक से बार-बार नोट बदलवाने वालों पर रोक लगाने के लिए नोट बदलवाने वाले की उंगली पर वही स्याही लगाई जाएगी, जो वोट डालने के समय लगती है।
इसके अलावा, देश के कई हिस्सों से जन-धन खातों में बड़ी मात्रा में नकदी जमा होने की खबरें आने के बाद वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को जन-धन खातों में नकदी जमा करने की सीमा 50,000 रुपये कर दी। लेकिन, बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जो बार-बार तो दूर, एक बार भी पैसा नहीं निकाल सके हैं। निजी कंपनी के सुरक्षाकर्मी अंकुश तिवारी ने कहा कि वह दिल्ली के लाजपतनगर में एटीएम पर सुबह छह बजे पहुंचे और उन्हें दोपहर एक बजे 2500 रुपया निकालने का मौका मिल सका।
इसी आशय की खबरें देश के तमाम हिस्सों से मिल रही हैं। लखनऊ में मेकेनिक सुहैल ने कहा, दिक्कत ऐसी हो गई है कि समझ में नहीं आ रहा है कि घर वालों को खाना कैसे खिलाऊं? केरल में स्थिति और बिगड़ी हुई है। जिला सहकारी बैंकों को नोट बदलने की इजाजत नहीं मिलने से स्थिति बिगड़ी है। इसके विरोध में समूचे सहकारिता क्षेत्र ने बुधवार को राज्य में
हड़ताल का ऐलान किया है।
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में जनता के सब्र का बांध टूट गया। मंगलवार दोपहर राजधानी के लालगंगा शॉपिंग कॉम्प्लेक्स की जम्मू एंड कश्मीर बैंक शाखा में विवाद बढऩे पर गार्ड की राइफल कंधों से उतरकर हाथों में आ गई। नोट खत्म होने के चलते बैंक मैनेजर और लोगों के बीच काफी बहस हुई। लेकिन, मामले को शांत करा लिया गया।
मध्य प्रदेश में भी आम लोगों की परेशानी कम नहीं हुई। मंगलवार को भी बैंकों, डाकघरों व एटीएम के बाहर लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं, वहीं कई निजी संस्थानों ने अपने कर्मचारियों को एक साथ अतिरिक्त दो-दो माह की पगार दे दी। इसे कालेधन को ठिकाने लगाने की कोशिश माना जा रहा है।
एक कर्मचारी का कहना है, कालेधन पर रोक लगाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा नोट को अमान्य किए जाने से उसकी चांदी हो गई है, क्योंकि उसका मालिक जो हर माह समय पर पगार देने में आनाकानी करता था, उसने दो माह की अतिरिक्त पगार दे दी है। हां, उसे नोट बदलवाने जरूर कुछ परेशान होना पड़ेगा, मगर यह ज्यादा बड़ी समस्या नहीं है।
चेन्नई से खबर है कि ऑल इंडिया बैंक इंप्लाई एसोसिएशन (एआईबीईए) के महासचिव सी. एच. वेंकटचलम ने मंगलवार को कहा, अगर बैंक कर्मचारियों पर काम का अनुचित दबाव डाला जाता है और उन्हें कठिनाई होती है तो हम सरकार के साथ सहयोग की समीक्षा करेंगे। लचीलेपन की एक सीमा होती है।