दरअसल, बिहार में 22 मार्च को कोरोना वायरस का पहला मामला सामने आया था। यह वायरस अब तक केवल 10 जिलों में ही फैला है। खास बात यह भी है कि कोरोना संक्रमित पटना के सभी छह, मुंगेर के सात में से छह और भागलपुर के सात में से छह मरीज बिल्कुल स्वस्थ होकर अपने घर लौट चुके हैं। हालांकि, सीवान जिले में यह वायरस काफी तेजी से फैल रहा है और उसे बिहार का ‘वुहान’ भी कहा जाने लगा है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस कोलेकर बिहार सरकार शुरू से ही सभी एहतियाती कदम उठा रही है और उसे जमीन पर लागू भी कर रही है। इसके तहत बाहर से आने वाले लोगों के लिए गांव के बाहर रहने के लिए क्वारंटाइन सेंटर भी बनाया गया है। वहीं, बाहर से आने वाले लोगों पर नजर भी रखी जा रही है। ग्रामीण भी इसके लिए जागरूक नजर आ रहे हैं। कई गांवों में बाहर से आने वाले लोगों को ग्रामीण अपने गांव में नहीं प्रवेश करने दे रहे। चम्पारण के थरुहट इलाके के तो 50 गांव के लोगों ने एक साथ अपने इलाकों में सीलबंदी कर दी थी।
यहां आपको बता दें कि राज्य सरकार ने 23 मार्च की सुबह से ही प्रदेश में तालाबंदी कर दी थी। इसके बाद भारत-नेपाल सीमा को सबसे पहले पूर्ण रूप से सील कर दिया गया। जिन जिलों में कोरोना संक्रमित मरीज नहीं भी थे, वहां संदिग्धों की तलाश की गई और करीब 12 हजार से अधिक लोगों को क्वारंटाइन किया गया था। मुख्यमंत्री के सचिव अनुपम कुमार ने बताया कि बिहार सरकार ने राज्य के सीमा पर 150 शिविर बनाए। जहां बाहर से आने वाले लोगों को रखा जा रहा है। कुल 17,964 लोग ऐसे शिविरो में रह रहे हैं। वहीं, 3147 स्कूल में क्वारंटाइन सेंटर चल रहे हैं, जहां लगभग 35,000 लोग रह रहे हैं। वहीं, लॉकडाउन को सख्ती से पालन करवाने के लिए सरकार ने कई तरह से पहली और काफी हद तक कामयाबी भी मिली है। परिणाम ये है कि राज्य में अब तक केवल 10 जिले ही कोरोना के शिकार हुए हैं।