मजेदार बात है कि बिहार में लीची का स्वाद लोग आमतौर पर गरमी में चखते हैं जबकि दक्षिण भारत के लोग लीची का आंनद नवंबर, दिसंबर महीने में उठाएंगें। मुजफ्फरपुर स्थित राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र के निदेशक, विशालनाथ ने शुक्रवार को आईएएनएस को बताया, “इस बार सर्दियों में कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु में इसकी फसल तैयार होगी। इसकी तैयारी राष्ट्रीय लीची अनुसंधान केंद्र द्वारा पिछले सात सालों से चल रही थी, जो अब सफल हुई है।”
मौसम तेजी से बदल रहा है अपना मिजाज, देश के इन राज्यों के जारी हुआ सबसे बड़ा अलर्ट उन्होंने बताया कि अनुसंधान केंद्र की एक टीम भी इस सप्ताह इन इलाकों का दौरा करने जा रही है, जहां क्षेत्र के लीची किसानों से मिलकर उनकी समस्याओं का समाधान करेगी।
विशालनाथ कहते हैं कि अगस्त में वे भी इन क्षेत्रों में जाकर लीची की फसल को देख चुके हैं। उन्होंने कहा कि केरल के वायनाड, इडुक्की अैार कल्पेटा, कर्नाटक के कोडबू, चिकमंगलूर और हसन तथा तमिलनाडु के पलानी हिल्स व ऊंटी जिलों में लीची की बागवानी की शुरुआत हुई है।
इन जिलों के किसानों को लीची बागवानी के लिए प्रशिक्षण दिया गया है। उन्होंने कहा कि वहां की जलवायु लीची उत्पादन के लिए ठंड में ही अनुकूल है। दक्षिण भारत में नवंबर, दिसंबर में लीची के फल तैयार हो जाएंगे।