दोनों अदालतों ने सुनवाई के बाद खारिज की याचिका
गढ़वाल के स्वामी दर्शन भारती ने मांग की थी कि फिल्म पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। हाईकोर्ट ने कहा कि भारती को अपनी शिकायत के साथ रुद्रप्रयाग जिला मजिस्ट्रेट के पास जाना चाहिए। चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन की एकल पीठ को बताया गया कि फिल्म को प्रतिबंधित कर देना चाहिए क्योंकि यह हिंदु भावनाओं को चोट पहुंचाने के अलावा उन लोगों को भी आघात पहुंचाती है, जो 2013 में आई बाढ़ से प्रभावित हुए थे। इस बाढ़ ने केदारनाथ को काफी नुकसान पहुंचाया था। वहीं बॉम्बे हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस नरेश पाटिल और जस्टिस एम एस कर्णिक की एक पीठ ने सभी पक्षों की दलील को सुनने के बाद याचिका खारिज कर दी है। ये याचिका दो स्थानीय वकीलों प्रभाकर त्रिपाठी और रमेशचंद्र मिश्रा की ओर से दायर की गई थी।
जांच कमेटी सरकार को देगी रिपोर्ट
याचिकाकर्ता की दलील थी कि यह फिल्म मुस्लिम लड़के व हिंदू लड़की के बीच विवाह का संकेत देकर ‘लव जिहाद’ को प्रचारित करती है। आपत्ति के मद्देनजर राज्य सरकार ने पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज की अध्यक्षता वाली एक समिति गठित की है, जिसमें गृह सचिव नितेश कुमार झा, पुलिस महानिदेशक अनित रतूड़ी और पर्यटन सचिव दिलीप जावलकर शामिल हैं। एक अधिकारी ने बताया कि समिति से सभी पहलुओं पर विचार कर राज्य सरकार को एक विस्तृत रिपोर्ट दाखिल करने को कहा गया है, जिसके बाद उत्तराखंड में फिल्म की रिलीज को लेकर अंतिम फैसला किया जाएगा।