उन्होंने कहा, “हमारा तीन साल में 40,000 वाई-फाई हॉटस्पॉट बनाने का लक्ष्य है। इसके लिए हम 6,000 करोड़ रूपए खर्च करेंगे।” उन्होंने कहा कि निजी क्षेत्र के साथ किए जा रहे पहल के लिए कंपनी ने 2015-16 में 250 स्थानों पर 2,500 हॉटस्पॉट बनाने का लक्ष्य तय किया है।
वाई-फाई हॉटस्पॉटों पर ग्राहक एक वायरलेस लोकल एरिया नेटवर्क (लैन) पर इंटरनेट का उपयोग करते हैं। कंपनी ने निजी क्षेत्र की मदद से देश में 70-75 स्थानों पर पहले ही वाई-फाई हॉटस्पॉट बना दिए हैं। श्रीवास्तव ने कहा कि कंपनी पहले वाई-फाई हॉटस्पॉट पर खर्च नहीं करती थी और निजी कंपनियों के साथ आय में साझेदारी का विकल्प अपनाती थी।
उन्होंने कहा, “पहले हम निजी कंपनियों से वाई-फाई हॉटस्पॉट बनाने, पांच साल तक उसकी देखरेख करने और बिक्री तथा विपणन कार्य संचालित करने के लिए भी कहा करते थे। बीएसएनएल की ओर से हम 100 मेगाबाइट प्रति सैकेंड (एमबीपीएस) से एक गीगाबाइट प्रति सेकेंड (जीबीपीएस) पर ऑप्टिकल फाइबर के जरिए अवसंरचना उपलब्ध कराते थे।” किसी भी एक स्थान पर पांच वाई-फाई हॉटस्पॉट बनाने में करीब 10 लाख रूपए खर्च होता है।
श्रीवास्तव ने कहा, “इस साल का 250 स्थानों का लक्ष्य हासिल कर लेने के बाद (वाई-फाई हॉटस्पॉट पर) हमारे निवेश का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।” बीएसएनएल की ताकत यानी लैंडलाइन सेवा के बारे में उन्होंने कहा कि अगले दो-तीन साल में गांव के एक्सचेंज भी नेक्स्ट जनरेशन नेटवर्क (एनजीएन) एक्सचेंज में बदल जाएंगे।