सुप्रीम कोर्ट 20 मार्च को सुना चुका है फैसला
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मार्च में फैसला सुनाया था इसमें शीर्ष कोर्ट ने अपने फैसले में संरक्षण के उपाय जोड़े थे, इस पर दलित नेताओं और संगठनों ने आपत्ति जताई थी। नेताओं और संगठनों का कहना था कि इससे यह कानून कमजोर और शक्तिहीन हो जाएगा । भाजपा के सहयोगी और लोक जनशक्ति पार्टी के अध्यक्ष राम विलास पासवान ने न्यायालय का आदेश पलटने के लिए एक नया कानून लाने की मांग की थी। सत्तारूढ़ पार्टी के संबंध रखने वाले कई दलित सांसदों और आदिवासी समुदायों ने भी मांग का समर्थन किया था।
राम विलास पासवान ने दिया था ये बयान
20 जुलाई को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा में हिस्सा लेते हुए पासवान ने कहा कि एससी व एसटी एक्ट के क्रियान्वयन के संबंध में सुप्रीम कोर्ट ने जो निर्णय दिया था, उसकी समीक्षा के लिए केंद्र सरकार ने एक याचिका दायर की है। अगर अदालत का फैसला उलट आया तो सरकार अध्यादेश लाएगी। पासवान ने इस मुद्दे पर दलितों की राजनीति करने वाले दलों को भी कटघरे में खड़ा किया।