ममता के फैसले से सियासत गरमा गई थी
आपको बता दें कि ममता सरकार ने कुछ दिनों पहले 28 हजार दुर्गा पूजा समितियों को 10-10 हजार रुपए यानी कुल 28 करोड़ रुपए आर्थिक मदद देने का ऐलान किया था। इसके बाद से पश्चिम बंगाल की सियासत गरमा गई थी। हालांकि अब हाईकोर्ट ने इस मदद पर रोक लगा दी है। बीते दिन राज्य में मुस्लिम संगठनों ने ममता सरकार के इस फैसले के खिलाफ सड़क पर उतर कर विरोध जताया था। उनकी मांग थी कि यदि दुर्गा पूजा समितियों को आर्थिक मदद दी जा रही है तो फिर राज्य के इमामों और मुअज्जिनों के वेतन-भत्तों में भी बढ़ोतरी की जाए। ऑल इंडिया यूथ माइनॉरिटी फोरम के मोहम्मद कम्रुज्ज़मान ने कहा था कि ममता बनर्जी तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। साथ ही यह भी कहा था कि मुस्लिम समुदाय के लोगों के साथ सीएम ममता बनर्जी भेदभाव कर रही हैं।
दुर्गा पंडालों को 28 करोड़ देने के विरोध में ममता बनर्जी के खिलाफ सड़कों पर उतरा मुस्लिम समुदाय
बीते महीने कोर्ट में दायर की गई थी याचिका
आपको बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से राज्य की 28 हजार दुर्गापूजा कमेटियों को बतौर चंदा 10-10 हजार रुपए देने संबंधी घोषणा के खिलाफ बीते महीने कलकत्ता हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई थी। यह याचिका वामपंथी नेता अशोक घोष ने लगाई थी। याचिकाकर्ता वामपंथी नेता अशोक घोष का कहना था कि मुख्यमंत्री जनता के पैसे का राजनीतिक लाभ के लिए खर्च नहीं कर सकतीं। उन्होंने हाईकोर्ट से अपील की थी कि न्यायपालिका जनता के पैसे को यूं हीं जाया होने नहीं दे सकती है, लिहाजा इसपर रोक लगाई जाए। बता दें कि कलकत्ता में करीब 3000 पूजा पंडाल हैं और सभी गांवों में कुल मिलाकर 25,000 के करीब कार्यक्रम होंगे। इस लिहाज से सरकार ने कलकत्ता नगर निगम के हर पूजा पंडाल को 10 हजार रुपए देने की घोषणा की थी। इसी तरह पर्यटन विभाग, उपभोक्ता मामलों के विभाग, स्वयं सहायता समूहों को भी 10-10 हजार रुपए दिए जाने की बात कही गई थी। लेकिन अब हाईकोर्ट ने इसपर रोक लगा दी है।