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बद्रीनाथ को राष्ट्रीय विरासत स्थल घोषित किया जा सकता है या नहींः उत्तराखंड हाईकोर्ट

locationनई दिल्लीPublished: Jul 23, 2018 09:30:47 pm

सालभर में करीब छह महीने बर्फीली पहाड़ियों से ढंके होने के कारण बंद रहने वाले इस धाम का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यहां शालग्रामशिला से बनी हुई मूर्ति है जो चतुर्भुज ध्‍यानमुद्रा में है।

Badrinath

बद्रीनाथ को राष्ट्रीय विरासत स्थल घोषित किया जा सकता है या नहींः उत्तराखंड हाईकोर्ट

नैनीताल। उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से पूछा कि बद्रीनाथ मंदिर को राष्ट्रीय विरासत स्थल घोषित किया जा सकता है या नहीं। कानून की छात्रा चेतना भार्गव द्वारा दाखिल एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने जल निगम के वकील को निर्देश दिया कि क्षेत्र का निरीक्षण करें और अगली सुनवाई पर एक रिपोर्ट प्रस्तुत करें। न्यायमूर्ति वीके बिष्ट और न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी ने केंद्र सरकार से मामले की अगली सुनवाई पर 27 अगस्त तक हलफनामा दाखिल करने को कहा।
सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट पर भी बहस

कोर्ट ने महाधिवक्ता से कहा है कि सचिव (शहरी विकास) के साथ क्षेत्र को विशेष तौर से विकसित करने की संभावना पर चर्चा करना चाहिए। जनहित याचिका (पीआईएल) में याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि सीवेज ट्रीटमेंट संयंत्र (एसटीपी) का निर्माण अलकनंदा और ऋषि गंगा के मुहाने पर किया गया है, जिससे गंदा सीवेज का पानी नदियों में जा रहा है। याचिकाकर्ता ने यह भी मांग की है कि एसटीपी को कही अन्यत्र स्थानांतरित किया जाए, क्योंकि नदी के जल का इस्तेमाल मंदिरों द्वारा किया जाता है।
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अद्भुत है बद्रीनाथ धाम यात्रा का महत्व

सालभर में करीब छह महीने बर्फीली पहाड़ियों से ढंके होने के कारण बंद रहने वाले इस धाम का हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। यहां नर-नारायण विग्रह की पूजा की जाती है और अखंड दीप जलता रहता है। यहां शालग्रामशिला से बनी हुई मूर्ति है जो चतुर्भुज ध्‍यानमुद्रा में है। यहां गंगा नदी को अलकनंदा धारा के नाम से जाना जाता है। इसी से सरस्वती का संगम भी होता है। यहीं से करीब तीन किमी की दूरी पर भारत का आखिरी गांव भी है, जो माना के नाम से प्रसिद्ध है।
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