विधानसभा में बिल पास होने के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि इससे अपराधियों के मन में भय पैदा होगा। इसके साथ ही प्रदेश में मासूम बच्चियों से हो रहे यौन हिंसा के मामलों में भी कमी आएगी। सरकार के इस फैसले से देश के अन्य राज्यों में भी इस तरह के कानून लाने का दबाव बढ़ सकता है।
विधानसभा में दंड विधि संशोधन विधेयक 2018 के मुताबिक 12 साल से कम उम्र की लड़कियों से बलात्कार करने वाले दोषी को 14 साल की कैद या मौत की सजा दी जा सकती है। जुर्म की गंभीरता को देखते हुए सजा की अवधि बढ़ाई जा सकती है।
वहीं कांग्रेस ने इस कानून का समर्थन करते हुए कहा कि ना सिर्फ 12 साल बल्कि किसी उम्र की बच्ची या महिला से दुष्कर्म करने वाले मौत की ही सजा का प्रावधान होना चाहिए। इस कानून के तहत जांत अधिकारी कम से कम आईपीएस रैंक का अधिकारी होना चाहिए।
पिछले साल दिसंबर महीने में मध्य प्रदेश विधानसभा में भी इस तरह का बिल पास हुआ है। मध्य प्रदेश में 12 साल की उम्र तक की बालिकाओं के साथ बलात्कार या सामूहिक बलात्कार करने वाले अपराधियों को फांसी की सजा देने के विधेयक को सर्वसम्मति से मंजूरी मिल चुकी है। विधेयक पारित होने के बाद सीएम चौहान ने राज्य विधानसभा में कहा कि जो लोग 12 साल की मासूम बच्ची का बलात्कार करते हैं वे मनुष्य नहीं, पिशाच हैं और उन्हें जीने का कोई अधिकार नहीं। उन्होंने बताया कि लगातार पीछा करना भी गैर-जमानती अपराध के अंतर्गत आएगा और अपराधियों को सजा दी जाएगी। उन्होंने कहा कि महिलाओं के खिलाफ अपराध रोकने के लिए लोगों को जागरुक भी किया जाएगा।