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कावेरी विवाद के पीछे ये है वजह, अब तक 25,000 करोड़ का नुकसान

Published: Sep 14, 2016 08:15:00 am

Submitted by:

Rakesh Mishra

एक अनुमान के अनुसार, कावेरी भी दोनों की प्यास बुझाने में सक्षम नहीं है।
नदी दोनों राज्यों से होकर गुजरती है। नदी के पानी में दस सालों में 46
फीसदी की कमी आई है

Cauvery Row 01

Cauvery Row 01

पत्रिका न्यूज नेटवर्क, बेंगलूरु। कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच कावेरी नदी को लेकर लड़ाई बढ़ती जा रही है। तमिलनाडु को 49 फीसदी पानी की जरूरत है तो कर्नाटक को 30 फीसदी और दरकार है। जरूरत से ज्यादा प्यासे होने के चलते दोनों दक्षिणी राज्यों में आग लगी हुई है।

एक अनुमान के अनुसार, कावेरी भी दोनों की प्यास बुझाने में सक्षम नहीं है। नदी दोनों राज्यों से होकर गुजरती है। नदी के पानी में दस सालों में 46 फीसदी की कमी आई है। ऐसे में दोनों राज्य कम संसाधनों पर निर्भर हो गए हैं। जानकार मानते हैं कि दोनों राज्यों को अगले 5 साल में नए विकल्प खोजने होंगे। तनाव तब और बढ़ गया जब पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक को कावेरी नदी से तमिलनाडु के लिए अगले दस दिन तक रोजाना 15 हजार क्यूसेक पानी छोडऩे को कहा।

25,000 करोड़ का नुकसान
आंदोलन के चलते बेंगलूरु को लगभग 25,000 करोड़ रुपए के नुकसान का अनुमान है। एसोचैम के अनुसार, नुकसान की मुख्य वजह सड़क, रेल और विमान सेवाओं का बाधित होना है। इससे ऑफिस और कारखानों के काम बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। विरोध के चलते विप्रो, इंफोसिस जैसी आईटी कंपनियों ने अपने दफ्तर को बंद कर दिया है।

इन कारणों से बेंगलूरु में मचा है बवाल

कर्नाटक में 17 फीसदी कम रहा मानसून
तमिनलाडु के मुकाबले कर्नाटक में कम मानसूनी बारिश हुई। एक जून से नौ सितंबर के बीच सामान्य से 17 फीसदी कम थी। तमिलनाडु में मानूसन सामान्य रहा। वहां नौ सितंबर तक 222 मिमी बारिश हुई। कर्नाटक में 594 मिमी बारिश हुई जबकि सामान्य रहने पर 718 मिमी होती है।

पेय जल की सप्लाई मात्र चार घंटे
अगस्त में पानी की कमी के कारण बेंगलूरु और मैसूर शहरों में रोजाना औसतन चार घंटे पेयजल ही लोगों को मिला। यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेंज के प्रोफेसर शिवरामू कहते हैं कि कनार्टक में मानसून के समय हफ्ते में 5 दिन बारिश होती थी तो इस दफा सिर्फ 3 दिन हुई।

यह हो सकता है उपाय
नेशनल वाटरवेयर डेवलपमेंट टेक्नोलॉजी के चेयरमैन कहते हैं कि जो पानी ड्रेनेज सिस्टम से समुद्र में बह जाता है, अगर उसे दोबारा से इस्तेमाल में लाया जाए तो कृषि से लेकर पेयजल की दिक्कत दूर हो जाएगी।

2000 मिलियन क्यूबिक पानी कर्नाटक से हर साल अरब सागर में बह जाता है ड्रेनेज से
04 गुना ज्यादा पानी है ये दोनों राज्य की मांग का
06 जलाशय हैं इस नदी के तमिलनाडु में
93 फीसदी तक जलस्तर था इस नदी का तमिलनाडु में दस साल पहले
14 जलाशय हैं इस नदी के कर्नाटक में
95 फीसदी जलस्तर था नदी का कर्नाटक में दस साल पहले

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