– गुरुवार को जिस वक्त राम रहीम को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए सजा सुनाई जा रही थी, उस समय सीबीआई ने अदालत से फांसी की सजा की मांग की थी, लेकिन राम रहीम के वकीलों की दलील के आगे सीबीआई की मांग खारिज हो गई।
– दरअसल, सुनवाई के दौरान सीबीआई के वकील एचपीएस वर्मा ने कहा था कि राम रहीम साध्वियों के साथ दुष्कर्म का दोषी है, उसने आस्था से खिलवाड़ किया है और अपनी ताकत दिखाने के लिए पत्रकार की हत्या करवा दी, उसे तो सिर्फ फांसी की सजा होनी चाहिए।
– जवाब में राम रहीम के वकीलों ने तीन केसों का हवाला देते हुए कहा कि जब 17 लोगों की हत्या के आरोपी को फांसी नहीं हुई तो राम रहीम को क्यों? राम रहीम के वकीलों ने माछी सिंह से जुड़े केस में पांच घटनाओं में 17 हत्याएं हुई थीं, लेकिन हत्या करवाने वाले को सामाजिक कार्य देखते हुए सिर्फ कत्ल की साजिश रचने के आरोप में सजा सुनाई गई थी, राम रहीम ने भी समाज की सेवा की है, उन्हें सख्ता सजा नहीं होनी चाहिए।
– इसके बाद अदालत ने सीआरपीसी की धारा 427 के तहत राम रहीम को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस धारा में प्रावधान है कि जब कोई अन्य मामला अगर दोषी पर चल रहा हो तो उसकी सजा पूरी होने के बाद ही नई सजा शुरू होती है।
Read the Latest India news hindi on Patrika.com. पढ़ें सबसे पहले India news पत्रिका डॉट कॉम पर.