केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट का दिया हवाला
दरअसल, 2011 में कांग्रेस नीत सरकार में एचआरडी मिनिस्टर रहे कपिल सिब्बल ने एनसीएमईआई का स्वाग किया था। यही नहीं सिब्बल ने अदालत में हलफनामा देकर विश्वविद्यालय के अल्पसंख्यक संस्थान होने की बात कही थी। वहीं, केन्द्र सरकार ने अपने हलफनामे इसका विरोध किया है। मोदी सरकार ने कोर्ट में अजीज बाशा बनाम भारत गणराज्य केस (साल 1968) का हवाला दिया। सरकार ने कहा कि इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि उस संस्थान का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा नहीं दिया जा सकता, विश्वविद्यालय संसद एक्ट के तहत शामिल नहीं है।
5 मार्च को दाखिल किया हलफनामा
बता दें कि हाई कोर्ट में यह हलफनामा मोदी सरकार की ओर से 5 मार्च को दाखिल किया गया है। केन्द्र सरकार ने कहा कि यह आवश्यक नहीं कि जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय में किसी धर्म विशेष के लोगों की संख्या अधिक हो। ऐसे में फिर विश्वविद्यालय अल्पसंख्यक संस्थान की मान्यता कैसी दी जा सकती है। यहां केन्द्र सरकार ने संसद एक्ट का हवाला देते हुए कहा कि केन्द्र सरकार संस्थान को फंड जारी करती है, तो फिर ऐसे में विश्वविद्यालय ने अल्पसंख्य संस्थान का दर्जा कैसे दिया जा सकता है।