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केंद्र सरकार ने Supreme Court से कहा, राजनेताओं के खिलाफ मामले तेजी से निपटाने में कोई आपत्ति नहीं

locationनई दिल्लीPublished: Sep 17, 2020 10:43:12 am

केंद्र सरकार मौजूदा-पूर्व सांसदों/विधायकों के खिलाफ लंबित मामलों ( pending cases in court ) की सुनवाई के पक्ष में।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा भारत सरकार सुप्रीम कोर्ट के हर निर्देश का करेगी स्वागत।
विशेष क़ानूनों के तहत लंबित मामलों को जोड़ने के बाद अब संख्या 4,600 हो गई है।

fast settle pending cases in courts against politicians

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नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने बुधवार को सुप्रीम कोर्ट को बताया कि वह सांसदों और पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ लंबे समय से लंबित मामलों ( pending cases in court ) के समाधान के लिए शीघ्र सुनवाई शुरू करने के पक्ष में है। एमिकस क्यूरे के वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने कहा: “उच्च न्यायालयों को मुकदमों के शीघ्र निपटारे का खाका तैयार करने के लिए निर्देशित किया जा सकता है और मुकदमे के समापन के लिए एक वर्ष से अधिक का वक्त नहीं हो।” न्यायमूर्ति एनवी रमन की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि इन मामलों के तेजी से निपटाने के बारे में हंसारिया के सुझावों पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है।
यह याचिका वकील अश्विनी कुमार उपाध्याय ने दायर की थी जिसमें राजनेताओं के खिलाफ आपराधिक मुकदमों का तेजी से निपटारा करने और ऐसे मामलों में दोषी पाए जाने वालों पर आजीवन प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले के सबमिशन को मंजूरी दे दी और कहा कि सुप्रीम कोर्ट देश भर के मौजूदा और पूर्व सांसदों और विधायकों के खिलाफ सभी लंबित मामलों में मुकदमों को पूरा करने के लिए एक समय सीमा तय कर सकता है। उन्होंने आगे कहा कि अदालत जो भी निर्देश देगी, भारत सरकार उसका स्वागत करेगी।
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अपने सबमिशन में हंसारिया ने कहा, “पूरे देश में सांसदों/विधायकों के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना के लिए एकरूपता नहीं है।” उन्होंने कहा कि उन्होंने राज्य-वार मामलों को प्रस्तुत किया है और सभी राज्यों में जिला स्तर पर एक अदालत स्थापित करने का सुझाव दे रहे हैं।
पीठ ने पाया कि पहले की रिपोर्ट के अनुसार मामलों की संख्या 4,442 के आसपास थी और विशेष क़ानूनों के तहत लंबित मामलों को जोड़ने के बाद संख्या 4,600 हो गई है। पीठ ने स्पष्ट किया कि अदालत एमिकस द्वारा दिए गए सुझाव के प्रति देख रही है और उसी के अनुसार आदेश पारित करेगी।
सुप्रीम कोर्ट की पीठ अब उच्च न्यायालयों को इसी के कार्यान्वयन के लिए एक कार्य योजना प्रस्तुत करने का निर्देश देगी। पीठ लंबित मामलों के निपटारे के संबंध में उच्च न्यायालयों के मुख्य न्यायाधीशों से एक खाका तैयार करने के लिए भी कहेगी।
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