गृह मंत्रालय ने लिया फैसला मीडिया रिपोर्टस के मुताबिक, गृह मंत्रालय की तरफ से इसके निर्देश जारी कर दिए गए हैं और बीते 31 मार्च से ये फैसला लागू हो गया है। इस आदेश के मुताबिक, पूरे मेघालय से इस कानून को हटाया गया है। साथ ही असम के सीमावर्ती इलाकों के 16 पुलिस स्टेशनों और आउटपोस्ट से घटाकर 8 तक सीमित कर दिया गया है। आपको बता दें कि साल 2017 में पूर्वोत्तर में उग्रवादी घटनाएं 37 फीसदी तक घटी हैं और इसी के मद्देनजर गृह मंत्रालय ने यह फैसला लिया है।
AFSPA को हटाने की काफी समय से थी मांग आपको बता दें कि पूर्वोत्तर के राज्यों में विभिन्न संगठन साथ-साथ जम्मू कश्मीर से इस कानून को हटाने की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि यह कानून AFSPA को हटाए जाने की मांग काफी समय से हो रही है। सुरक्षा बलों को असैनिकों के खिलाफ कार्रवाई करने की अपार शक्ति देता है। आफस्पा नगालैंड में कई दशकों और असम में 1990 के दशक की शुरूआत से लागू है।
गृह मंत्रालय ने दी अहम जानकारियां गृह मंत्रालय ने बताया कि उग्रवादी संगठन नेशनल डेमोक्रेटिक फ्रंट ऑफ बोडोलैंड (सोंगबिजीत) का असर भी कम हुआ है। हिंसा की घटनाओं पर लगाम लगाने के ऑपरेशन में (NDFB-S) के 63 काडर निष्क्रिय हुए हैं और इनमें में 1000 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार भी किया गया है। दिसंबर 2014 से मार्च 2018 के बीच हुए ऑपरेशन में भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किए गए हैं।
इलाके में सुरक्षा को मजबूत करने के लिए सरकार ने इसी साल मार्च में 10 रिजर्व बटालियन बनाने की घोषणा की थी। इसमें असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर और त्रिपुरा के लिए दो-दो बटालियन निर्धारित की थीं। इन नई बटालियन के खर्च में आने वाली लागत का 75 फीसदी और इनके लिए आधारभूत सुविधाएं बनाने में आने वाली लागत का 50 फीसदी केंद्र सरकार वहन करेगी।
क्या होता है AFSPA 45 साल पहले भारतीय संसद ने “अफस्पा” यानी आर्म्ड फोर्स स्पेशल पावर एक्ट 1958 को लागू किया था, जो एक फौजी कानून है, जिसे “डिस्टर्ब” क्षेत्रों में लागू किया जाता है। ये कानून सुरक्षा बलों और सेना को कुछ विशेष अधिकार देता है। अफस्पा को 1 सितंबर 1958 को असम, मणिपुर, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम और नागालैंड सहित भारत के उत्तर-पूर्व में लागू किया गया था। इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में भी AFSPA के तहत सुरक्षाबलों को विशेषाधिकार दिए जाते हैं।
बाद में जम्मू-कश्मीर में भी किया गया लागू वहीं नॉर्थ ईस्ट के जिन राज्यों में आफ्सपा लागू था उन्हें सात बहनों के नाम से जाना जाता है। इसे भारतीय संघ से अलग पूर्वोत्तर राज्यों में हिंसा रोकने के लिए लागू किया गया था। बाद में पंजाब और चंडीगढ़ भी इस अधिनियम के दायरे में आए और 1997 में इस कानून को वहाँ पर समाप्त कर दिया गया। अफस्पा 1990 में, जम्मू और कश्मीर राज्य के लिए लागू किया गया था और तब से यह कार्यान्वित है।