देश में कोरोना टीकाकरण प्राथमिकता वाले समूह में 30 करोड़ को दी जानी है खुराक।
सरकार ने प्राथमिकता समूह में लोगों को जोड़ने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया।
यह समिति कोमॉर्बिड की एक सूची का मसौदा तैयार करने और इसे अंतिम रूप देने में जुटी।
कोरोना वैक्सीनेशन से स्वास्थ्यकर्मियों ने बनाई दूरी
नई दिल्ली। बीते 16 जनवरी से देश में शुरू हुआ कोरोना वायरस के खिलाफ टीकाकरण अभियान तेजी से चल रहा है। फ्रंट लाइन वर्कर्स के बाद देश के उन लोगों का टीकाकरण किया जाना है, जो प्राथमिकता समूह में शामिल है। सरकार ने हेल्थ केयर वर्कर्स और फ्रंट लाइन वर्कर्स समेत प्राथमिकता समूह में कुल 30 करोड़ लोगों को शामिल किया है। अब सरकार जल्द ही प्राथमिकता समूह में शामिल किए जाने के लिए जरूरी बीमारियों की सूची जारी करने वाली है।
केंद्र सरकार के एक शीर्ष अधिकारी के मुताबिक कोमॉर्बिड कंडिशंस (पहले से कई रोगों से ग्रसित व्यक्ति) के पूरे सेट को अंतिम रूप दे दिया गया है और इसे जल्द ही जारी किया जाएगा। आम आबादी के समूह को अगले महीने से कोरोना वायरस के टीके लगाने का काम शुरू किया जाएगा।
इन स्थितियों (सूचीबद्ध बीमारियों से ग्रसित) में से किसी एक के भी होने पर किसी व्यक्ति को टीकाकरण प्रक्रिया के अगले चरण के लिए साइन अप करने के लिए अर्हता प्राप्त होगी, जो कि कोविड-19 के लिए विशेष रूप से संवेदनशील लोगों को कवर करने के लिए शुरू किया जाने वाला है।
नीति आईयोग के सदस्य डॉ. वीके पॉल ने गुरुवार को एक वेबिनार में कहा, “कोमॉर्बिडिटीज वाले व्यक्तियों की पहचान करने के लिए दिशानिर्देश पहले ही तैयार किए जा चुके हैं। बहुत जल्द इन्हें जारी किया जाएगा। विशेषज्ञ समूह के अलावा, हमने राज्य सरकारों के साथ चर्चा की है और हम इस बारे में आश्वस्त हैं कि यह लागू करने योग्य है।”
IMAGE CREDIT: patrika सरकार ने कोमॉर्बिडिटीज की एक सूची और डिग्री का मसौदा तैयार करने और अंतिम रूप देने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन किया था। ऊपर वर्णित बीमारियों के अलावा सूची में और अधिक बीमारियों को जोड़े जाने की संभावना है, जिनमें विघटित यकृत सिरोसिस (स्कारिंग के कारण यकृत के कार्य में गिरावट), प्राथमिक प्रतिरक्षा की कमी की स्थिति और सिकल सेल एनीमिया शामिल हैं।
BIG NEWS: अब कोरोना वायरस के 7 नए लक्षणों ने बढ़ाई परेशानी, वैज्ञानिकों में छाई हैरानी पॉल ने कहा, “मैं कह सकता हूं कि हमने एक समिति बनाई थी जिसमें लगभग 15 से 20 विशेषज्ञ थे। इनमें दो कार्डियोलॉजी के लिए, दो नेफ्रोलॉजी के लिए और इसी तरह अन्य ने अपने अनुभव से इससे जुड़ी रिपोर्टों पर गौर किया कि कैसे एक विशेष बीमारी कोविड-19 में मृत्यु दर के लिए जोखिम को बढ़ाती है। यह एक बहुत ही साक्ष्य आधारित दस्तावेज है।”
उन्होंने आगे कहा, “यह व्यक्ति को वर्गीकृत करने वाले मरीज के रिकॉर्ड को समेट देगा, भले ही उन्हें कोई विशेष बीमारी हो या दूसरा जो हमें प्राथमिकता समूह में शामिल करने के लिए अर्हता प्राप्त करेगा।”
अब तक भारत ने कोविड-19 की दो वैक्सीन (सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविशील्ड और भारत बायोटेक की कोवैक्सिन की 98 लाख से अधिक खुराक दी हैं। यह आकड़े देश के अपने लक्ष्यों से कम है। 1 करोड़ स्वास्थ्य कर्मचारियों में से केवल 66 लाख को ही वैक्सीन लग पाई है, जबकि 20 फरवरी तक सभी को कवर करने का लक्ष्य रखा गया था।
इससे पहले दिल्ली के अधिकारियों ने कहा था कि कोमॉर्बिड हालात वाले लोगों को टीकाकरण अभियान के लिए CoWIN पर पंजीकरण करने के लिए अपने डॉक्टर का प्रमाण पत्र अपलोड करना होगा। पॉल के मुताबिक, “हमारे डेटा के एक सरल विश्लेषण से पता चला है कि देश में 80 फीसदी मौतें 50 वर्ष से अधिक आयु के व्यक्तियों में हुई हैं, इसलिए उन्हें प्राथमिकता समूह के रूप में पहचाना गया। इसके अलावा, मरने वालों में से लगभग दो-तिहाई लोगों में कुछ गंभीर कोमॉर्बिडिटीज थीं।
अब, पहले से बीमारी वाले 70 फीसदी लोग 50 वर्ष की आयु से ऊपर हैं और पहले से ही कवर किए गए हैं। हमें 50 साल से कम उम्र के उन 1 करोड़ लोगों की पहचान करने की जरूरत है, जिन्हें पहले से कोई बीमारी है।