scriptचंद्रयान 2: जब इसरो प्रमुख सिवन ने कहा था ‘डर के वो 15 मिनट’, अब खुला इसका राज | Chandrayaan 2: Big Reveal About Sivan Statement On 15 minutes terror | Patrika News

चंद्रयान 2: जब इसरो प्रमुख सिवन ने कहा था ‘डर के वो 15 मिनट’, अब खुला इसका राज

locationनई दिल्लीPublished: Sep 13, 2019 12:33:57 pm

Submitted by:

Kaushlendra Pathak

चंद्रयान 2 के लॉन्चिंग से पहले इसरो प्रमुख के सिवन ने कहा था- ‘डर के वो 15 मिनट’
छह साल पहले NASA ने कहा था- ’15 Minutes of Terror’

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नई दिल्ली। इस समय देश की निगाहें मिशन चंद्रयान 2 पर टिकी हैं। सात दिन बीत जाने के बाद भी ISRO का विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित नहीं हो सका है। विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने के लिए अब नासा भी इसरो की मदद कर रहा है। लेकिन, इसी बीच चंद्रयान 2 के लॉन्चिंग से पहले ISRO प्रमुख के सिवन के उस बयान को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है जिसमें उन्होंने कहा था कि विक्रम लैंडर को चांद की सतह पर उतरने में 15 मिनट लगेंगे।
दरअसल, के सिवन ने कहा था कि विक्रम लैंडर को उतरने में 15 मिनट लगेंगे। ये लैंडिंग बेहद कठिन और जटिल होगी। इस दौरान कुछ भी अनहोनी हो सकता है। लिहाजा, ये 15 Minutes of Terror या ‘डर के 15 मिनट’ होंगे। उन्होंने कहा था कि अगर इस 15 मिनट में सब कुछ सही रहा तो हम इतिहास रचेंगे। लैंडिंग के शुरुआती 13 मिनट तक सब सही रहा लेकिन आखिरी के 2 मिनट में सबकुछ बिगड़ गया और जिसकी आशंका थी वहीं हुआ।
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6 साल पहले आया था यह शब्द

15 Minutes of Terror शब्द का इस्तेमाल 6 अगस्त 2012 को हुआ था, NASA ने नवंबर 2011 में मंगल ग्रह के लिए अपना क्यूरियोसिटी लैंडर लॉन्च किया था। करीब 10 महीने बाद 6 अगस्त 2012 को क्यूरियोसिटी लैंडर को मंगल की सतह पर उतरना था।
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इसे मंगल के ऑर्बिट से उसकी सतह पर उतरने में करीब 7 मिनट लगने वाले थे। उस समय नासा के जेट प्रोपल्शन लेबोरेट्री के हाथ में लैंडिंग का पूरा कमांड था। क्यूरियोसिटी की लैंडिंग भी ऑटोमैटिकली होने वाली थी लिहाजा, जेपीएल के वैज्ञानिकों ने इसे 7 Minutes of Terror यानी डर के 7 मिनट कहा था।
करीब छह साल बाद यानी 12 जून को इसरो चीफ के सिवन ने कहा था कि हमारे लिए इस मिशन का सबसे कठिन हिस्सा है चंद्रमा की सतह पर सफल और सुरक्षित लैंडिंग कराना। चंद्रयान-2 चंद्रमा की सतह से 30 किमी की ऊंचाई से नीचे आएगा। उसे चंद्रमा की सतह पर आने में करीब 15 मिनट लगेंगे। यह 15 मिनट बेहद कठिन होगा, क्योंकि भारत पहली बार ऐसा मिशन करने जा रहा है।

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