एक मीडिय हाउस को दिए इंटरव्यू में इसरो के अधिकारी ने बताया कि जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा, विक्रम लैंडर संपर्क बहाल करना मुश्किल होगा। एक अधिकारी ने कहा कि सही अनुकूलन के साथ यह अब भी एनर्जी पैदा कर सकता है और सोलर पैनल के जरिए बैटरियों को चार्ज कर सकता है। उन्होंने कहा कि लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता जाएगा संभावना कम होती चली जाएगी।
गौरतलब है कि सोमवार को खबर आई थी कि विक्रम चंद्रमा की सतह पर तिरछा पड़ा है और उसमें कोई टूट-फूट नहीं हुई है। इसरो ने बताया था कि ऑर्बिटर ने जो तस्वीर भेजी है, उसमें विक्रम का कोई टुकड़ा नहीं दिख रहा है। इसका मतलब है कि विक्रम पूरी तरह से सुरक्षित बचा है।
पढ़ें- लैंडर विक्रम को लेकर बड़ा खुलासा! इस सबूत से पता चला 2.1 KM नहीं, 335 मीटर पर टूटा था संपर्क वहीं, अब खबर यह भी आ रही है कि चांद की सतह के आसपास का वातावरण का जानकारी न होना विक्रम की असफल लैंडिंग के लिए जिम्मेदार हो सकता है। अनुमान से अलग वातावरण के चलते सॉफ्ट लैंडिंग में दिक्कत आने का भी अनुमान जताया जा रहा है।
पढ़ें- चंद्रयान-2: ISRO ही नहीं यहां भी हो रही लैंडर विक्रम से संपर्क साधने की कोशिश हालांकि, इसके पीछे चांद का वातावरण कितना जिम्मेदार है इसकी पूरी जानकारी तो इसरो वैज्ञानिकों की जांच-पड़ताल पूरी होने के बाद ही मिल सकेगी। फिलहाल, विक्रम से संपर्क करने की कोशिश जारी है और लगातार कई तरह के प्रयास किए जा रहे हैं।