चंद्रयान 2 मिशन से जुड़े एक वैज्ञानिक का कहना है कि कुछ ही ऐसे चैनल है जिसके जरिए लैंडर विक्रम और ग्राउंड स्टेशन से संपर्क साधा जा सकता है। इनमें सबसे अहम हैं एक्स-बैंड। इसका इस्तेमाल आमतौर पर रडार, सैटेलाइट कम्युनिकेशन और कम्प्यूटर नेटवर्क के लिए किया जाता है। ऐसा कहा जा रहा है कि इसकी मदद से शायद इसरो दोबारा विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में कामयाब हो सके। क्योंकि, यह आखिरी उम्मीद बताई जा रही है।
पढ़ें- चंद्रयान 2 के कारण अटका इसरो का कार्टोसैट-3 प्रोजेक्ट, एक महीने तक टल सकती है लॉन्चिंग वहीं, विक्रम से संपर्क करने के लिए इसरो कर्नाटक के एक गांव बयालालु में लगाए गए 32 मीटर के एंटीना का इस्तेमाल कर रहा है। इसका स्पेस नेटवर्क सेंटर बेंगलुरु में है। इसरो कोशिश कर रहा है कि ऑर्बिटर के जरिये विक्रम से संपर्क किया जा सके। हालांकि, ISRO के कुछ अधिकारियों का कहना है कि दोबारा विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित नामुकिन के बराबर है।
पढ़ें- चंद्रयान 2: ISRO अधिकारी का बड़ा बयान, बीतते समय के साथ विक्रम लैंडर से संपर्क की उम्मीदें कम क्योंकि, पांच दिन बीत चुके हैं और इसरो को अब तक कोई कामयाबी नहीं मिली है। इसरो के चेयरमैन ने कहा है कि वो अभी भी उसके डाटा का एनालिसिस कर रहे हैं। विक्रम को सिर्फ एक लूनर डे के लिए ही सूरज की सीधी रोशनी मिलेगी। इसका मतलब है कि 14 दिन तक ही विक्रम को सूरज की रोशनी मिलेगी। अब देखना यह है कि इसरो दोबारा विक्रम लैंडर से संपर्क स्थापित करने में कामयाब होता है या फिर कुछ और परिणाम सामने आता है।