इसके साथ ही आज यानी शनिवार तड़के से चांद पर रात शुरू हो गई है। जिससे चांद का यह हिस्सा धीरे-धीरे घोर अंधकार में डूबता जा रहा है।
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आपको बता दें कि लैंडर विक्रम का जीवनकाल एक चांद दिवस के लिए डिजायन किया गया था। क्योंकि चांद का एक दिन धरती के 14 दिन के बराबर होता है।
इसलिए 7 सितंबर को लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ कराने में असफल रहे इसरो की आखिरी उम्मीद आज विक्रम का जीवनकाल खत्म होते ही समाप्त हो जाएगी।
इसके पीछे बड़ी वजह यह है कि 7 से 21 सितंबर तक चांद का एक दिन खत्म होने के बाद शनिवार तड़के धरती यह प्राकृतिक उपग्रह रात की काली छाया में समा जाएगा।
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दरअसल, इसरो 7 सितंबर से ही लैंडर विक्रम से संपर्क साधने का हर संभव प्रयास कर रहा है, लेकिन उसको अभी तक कोई सफलता नहीं मिल पाई है।
अब जबकि आज इस प्राकृतिक उपग्रह पर चंद्र रात शुरू हो गई है। ऐसे में ‘विक्रम’ की कार्य अवधि पूरी हो गई।