कहा, नोटिस भेजना आग में घी डालने जैसा
अदालत ने कहा कि दिल्ली सरकार और ब्यूरोक्रेसी को माहौल शांत करने की कोशिश करनी चाहिए थी। दिल्ली के मुख्य सचिव को विशेषाधिकार समिति के सामने हाजिर होने का नोटिस भेजना आग में घी डालने जैसा है।
मुख्य सचिव की याचिका पर सुनवाई कर रहा था अदालत
विशेषाधिकार समिति की ओर से मिली नोटिस को चुनौती देते हुए मुख्य सचिव अंशु प्रकाश ने 5 मार्च को हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी। मुख्य सचिव के अधिवक्ता विवेक चिब ने कहा कि अंशु प्रकाश को जांच के लिए विशेषाधिकार समिति के सामने पेश होने को तो कहा गया था, पर उन्हें न तो शिकायत की प्रति मिली और न ही जवाब देने का कोई मौका। इसलिए इस नोटिस को रद्द कर दिया जाए।
सदन की अवमानना के लिए दिया था नोटिस
मालूम हो कि विशेषाधिकार समिति की ओर से बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने के बाद सदन की अवमानना के लिए मुख्य सचिव के खिलाफ 21 फरवरी के विशेषाधिकार हनन कार्यवाही की सिफारिश की थी। दिल्ली विधानसभा की समिति ने मुख्य सचिव पर विशेषाधिकार नोटिस के उल्लंघन के संबंध में उच्च न्यायालय से झूठ बोलने का भी आरोप लगाया था।
ऐसे हुई थी मामले की शुरुआत
मालूम हो कि 19 फरवरी को केजरीवाल के घर मीटिंग में मुख्य सचिव की ओर से दो विधायकों द्वारा उन पर हमले के आरोप के बाद से यह विवाद तूल पकड़ चुका है। इस मामले में दिल्ली पुलिस आम आदमी पार्टी के इन विधायकों से पूछताछ कर रही है।