इन निगरानी टीमों से यह भी कहा गया है कि वे ऐसे बच्चों पर नजर रखने में तेजी लाएं और किसी भी तरह के लक्षण नजर आने पर सूचित करें। स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक यह देखे जाने की जरूरत है कि वायरस कैसे व्यवहार करता है। सरकार ने वैक्सीन के कुछ बैचों के संक्रमित होने के मामले की जांच के लिए एक कमेटी गठित कर दी है। जानना जरूरी है कि दुनियाभर से टाइप-2 पोलियो वायरस खत्म किया जा चुका है।
यदि मां-बच्चे स्वस्थ होंगे तो भारत कभी बीमार नहीं हो सकता: पीएम मोदी स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारी के मुताबिक, “देश में फिलहाल एक बेहतर निगरानी तंत्र मौजूद है जो प्रभावित स्थानों पर पोलियो के किसी भी लक्षण की पहचान करने और तुरंत इस पर कार्रवाई करने की स्थिति में है। परेशान होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है। तीनों राज्यों में पोलियो निगरानी टीमों से कहा गया है कि वे उन सभी बच्चों पर नजर रखें, जिन्हें यह वैक्सीन दिया गया है और किसी भी लक्षण पर ध्यान दें।”
अधिकारी का कहना है कि प्रभावित स्थानों में हर बच्चे को स्वास्थ्य मंत्रालय राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम के अंतर्गत इनएक्टीवेटेड पोलियो वायरस (आईपीवी) इंजेक्शन लगाएगा और सुनिश्चित किया जाएगा कि एक भी बच्चा न छूटे। मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि अब तक टाइप-2 पोलियो वायरस से संक्रमित
50 हजार दूषित शीशियों के बैच का पता चला है। उन्होंने संभावना जताई कि इस वायरस से 1 लाख और शीशियां संक्रमित हो सकती हैं।
गौरतलब है कि यह घटना उस वक्त प्रकाश में आई जब उत्तर प्रदेश में कुछ बच्चों के स्टूल सैंपल में टाइप-2 पोलियो वायरस होने का पता चला। वहीं, मंत्रालय ने संबंधित निर्माता के पास से आने वाली वैक्सीन को तुरंत हटा देने का आदेश दिया है। इस मामले में बृहस्पतिवार को सेंट्रल ड्रग रेगुलेटर द्वारा कराई गई एफआईआर के बाद केवल सरकारी टीकाकरण कार्यक्रमों में पोलियो वैक्सीन सप्लाई करने वाली कंपनी बायोमेड प्राइवेट लिमिटेड के प्रबंध निदेशक को गिरफ्तार कर लिया गया था।
सावधानः दिल्ली की आबोहवा ‘खराब’, अगले तीन दिन में हो जाएगी और ‘खतरनाक’ कंपनी को यह भी आदेश दिया गया है कि वो अगले आर्डर तक निर्माण, बिक्री और वितरण को भी रोक दे। सरकार के अधिकारी का कहना है कि कंपनी के पांच निदेशक हैं। जहां कंपनी के प्रबंध निदेशक को गिरफ्तार कर लिया गया है, पुलिस से कहा गया है कि बाकी अन्य निदेशकों का भी पता लगाए ताकि उनसे पूछताछ की जा सके।
घटना की जानकारी सामने आने के बाद संबंधित पोलियो वैक्सीन को परीक्षण के लिए भेजा गया, जहां पर यह सुनिश्चित हुआ कि यह वैक्सीन वायरस से संक्रमित है। मार्च 2014 में सरकार ने भारत को आधिकारिक रूप से पोलियो मुक्त घोषित कर दिया था। इसके बाद 2016 में सेंट्रल ड्रग रेगुलेटर ने सभी वैक्सीन निर्माताओं को आदेश जारी किया था कि वे टाइप-2 पोलियो वायरस के सभी निशान (ट्रेस) नष्ट कर दें।