लेकिन बहुत लोग जानते हैं कि जवाहरलाल नेहरू ब्रिटेन तो गए थे उच्च शिक्षा के साथ बैरिस्टरी की डिग्री हासिल करने, पर वो राजनेता बन गएा दरअसल, पंडित मोतीलाल नेहरू और स्वरूप रानी नेहरू के बेटे जवाहरलाल नेहरू की शुरुआती पढ़ाई घर पर ही हुई। उनके पिता ने उन्हें ट्यूटर्स की मदद से घर पर ही पढ़ाया। एक ट्यूटर, फर्डिनेंड टी ब्रुक्स के प्रभाव में वह विज्ञान और थियोसोफी में रुचि रखने लगे थे। फिर 1905 में इंग्लैंड के प्रमुख स्कूल हैरो से उनकी संस्थागत स्कूली शिक्षा शुरू हुई।
अक्टूबर 1907 में वे ट्रिनिटी कॉलेज, कैम्ब्रिज गए और 1910 में नेचुरल साइंस में ऑनर्स की डिग्री हासिल की। इसी दौरान उन्होंने पॉलिटिक्स, इकोनॉमिक्स, इतिहास और साहित्य को भी पढ़ा। इसी दौरान उनकी राजनीतिक और आर्थिक समझ बेहतर हुई।
1910 में डिग्री पूरी करने के बाद नेहरू लंदन चले गए और इनर टेम्पल में कानून की पढ़ाई की। अगस्त, 1912 में भारत लौटने के बाद नेहरू ने खुद को इलाहाबाद उच्च न्यायालय के अधिवक्ता के रूप में नामांकित कराया और बतौर बैरिस्टर काम करने कोशिश की। लेकिन अपने पिता के विपरीत उन्होंने अपने पेशे में कम दिलचस्पी दिखाई और राष्ट्रीय राजनीति में रुचि लेने लगे।
राष्ट्रीय राजनीति में उनकी भागीदारी ने धीरे-धीरे उनके कानूनी व्यवहार की जगह ले ली थी। राजनीति में उनकी रुचि बैरिस्टर की पढ़ाई के दौरान ब्रिटेन में ही विकसित हुई थी। भारत लौटने के बाद वकालत के बदले वो राजनीति में ज्यादा रुचि लेने लगेा गांधी के साथ पूरी तरह से राजनीत से जुड़ने के साथ ही वो देश के सबसे अगुवा नेता भी बन गए।