अब दागी नेता नहीं लड़ पाएंगे चुनाव? मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट सुनाएगा अहम फैसला
दाऊदी बोहरा समुदाय ने दी चुनौति
आपको बता दें कि दाऊदी बोहरा समुदाय की नाबालिग बच्चियों का खफ्ज किया जाता है। इस प्रथा के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि अवैध तरीके से (पांच साल से लेकर उनके किशोरी होने से पहले तक) की बच्चियों का खफ्ज (खतना) किया जाता है। जो कि बच्चों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के समझौते, मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की सार्वभौमिक घोषणा के खिलाफ है जिसमें भारत भी एक हस्ताक्षरकर्ता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इस प्रथा के कारण बच्चियों के जननांग में स्थायी रूप से विकृति आ जाती है।
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इससे पहले कोर्ट भी कोर्ट ने इस पर उठाया था सवाल
आपको बता दें कि इस मामले को लेकर कोर्ट ने भी पहले सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने कहा था कि लड़कियों का खफ्ज इसलिए नहीं किया जा सकता कि उसे शादी के बाद अपने पति को खुश करना होता है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव पर रोक) समेत मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया था और कहा था कि किसी व्यक्ति को अपने ‘शरीर पर नियंत्रण’ का अधिकार है। बता दें कि मंगलवार को भी कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा। आपको बता दें कि दाऊदी बोहरा समुदाय शिया मुसलमानों की एक शाखा है, जो मुख्यतः गुजरात से ताल्लुक रखता है जो विश्वभर में फैला हुआ है।