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लड़कियों का खतना: SC ने पांच जजों की बेंच को भेजा मामला, मंगलवार को होगी सुनवाई

locationनई दिल्लीPublished: Sep 24, 2018 09:52:46 pm

Submitted by:

Anil Kumar

सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में प्रचलित लड़कियों का खफ्ज (खतना) पर सवाल उठाने वाली याचिका को एक संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया है।

लड़कियों का खतना: SC ने पांच जजों की बेंच को भेजा मामला, मंगलवार को होगी सुनवाई

सर्वोच्च न्यायालय

नई दिल्ली। मुस्लिम महिलाओं के सामाजिक और कानूनी अधिकारों के लिए लड़ाई अभी शांत नहीं हुई है। दशकों से परंपरा के नाम पर महिलाओं के साथ हो रहे अत्याचार को खत्म करने के लिए अब देश धीरे-धीरे जागृत हो रहा है। मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक पर कानूनी अधिकार मिलने के बाद अब उन्हें एक और बुराई से मुक्ति मिल सकती है। दरअसल सर्वोच्च न्यायालय ने सोमवार को दाऊदी बोहरा मुस्लिम समुदाय में प्रचलित लड़कियों का खफ्ज (खतना) पर सवाल उठाने वाली याचिका को एक संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया है। समुदाय की ओर से पेश हुए महान्यायवादी के.के. वेणुगोपाल और वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी के अनुरोध पर मुद्दे को संवैधानिक पीठ के पास भेज दिया गया। आपको बता दें कि प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति डी. वाई. चंद्रचूड़ की एक पीठ ने कहा कि वे संवैधानिक पीठ के विचार के लिए सवाल तैयार करेंगे। तीन न्यायाधीशों वाली पीठ द्वारा इससे पहले हुई सुनवाई में केंद्र ने दाऊदी बोहरा के बीच खतने को शारीरिक अखंडता के साथ-साथ निजता और सम्मान के उल्लंघन रूप में वर्णित किया था। हालांकि इस समुदाय ने धर्म और धार्मिक परपंराओं की स्वतंत्रता के आधार पर इसका बचाव किया था।

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दाऊदी बोहरा समुदाय ने दी चुनौति

आपको बता दें कि दाऊदी बोहरा समुदाय की नाबालिग बच्चियों का खफ्ज किया जाता है। इस प्रथा के खिलाफ कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि अवैध तरीके से (पांच साल से लेकर उनके किशोरी होने से पहले तक) की बच्चियों का खफ्ज (खतना) किया जाता है। जो कि बच्चों के अधिकार पर संयुक्त राष्ट्र के समझौते, मानवाधिकारों पर संयुक्त राष्ट्र की सार्वभौमिक घोषणा के खिलाफ है जिसमें भारत भी एक हस्ताक्षरकर्ता है। याचिका में यह भी कहा गया है कि इस प्रथा के कारण बच्चियों के जननांग में स्थायी रूप से विकृति आ जाती है।

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इससे पहले कोर्ट भी कोर्ट ने इस पर उठाया था सवाल

आपको बता दें कि इस मामले को लेकर कोर्ट ने भी पहले सवाल खड़े किए हैं। कोर्ट ने कहा था कि लड़कियों का खफ्ज इसलिए नहीं किया जा सकता कि उसे शादी के बाद अपने पति को खुश करना होता है। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने संविधान के अनुच्छेद 15 (धर्म, मूलवंश, जाति, लिंग, जन्मस्थान या इनमें से किसी के आधार पर भेदभाव पर रोक) समेत मौलिक अधिकारों का उल्लेख किया था और कहा था कि किसी व्यक्ति को अपने ‘शरीर पर नियंत्रण’ का अधिकार है। बता दें कि मंगलवार को भी कोर्ट इस मामले की सुनवाई करेगा। आपको बता दें कि दाऊदी बोहरा समुदाय शिया मुसलमानों की एक शाखा है, जो मुख्यतः गुजरात से ताल्लुक रखता है जो विश्वभर में फैला हुआ है।

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