केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय द्वारा 2016 से संचालित स्वच्छ सर्वेक्षण, दुनिया का सबसे बड़ा शहरी सफाई और स्वच्छता सर्वेक्षण है। यह शहरों और महानगरों के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना को बढ़ावा देने के मकसद से शुरू किया गया है।
इसके जरिए लोगों, संसाधनों और अधिकारियों को यह साबित करने का मौका मिलता है कि उनका शहर, भारत के सभी शहरों में सबसे साफ और बेहतर है।
स्वच्छता सर्वेक्षण के जरिए शहरों को सफाई के मामले में कुछ बातों पर आंका जाता है। इसके आधार पर ही इन शहरों की रैंकिंग की जाती है। स्वच्छ शहर को चुने जाने के प्रमुख घटकों में वहां पर अपशिष्ट संग्रहण अर्थात घरों से कूड़ा एकत्रित करना और परिवहन, प्र-संस्करण एवं निष्पादन (कूड़े को रीसाइकिल करना और उसका सही डिस्पोजल करना), संवहनीय स्वच्छता और नागरिकों की सहभागिता और नवाचार आदि शामिल हैं।
हर जिले का मूल्यांकन 4 मापदंडों के आधार पर होता है। सबसे अधिक अंक स्वच्छ जल और शौचालय की सुलभता को दिए जाते हैं। स्वच्छ सर्वेक्षण को तीन भागों में विभाजित किया गया है। इसमें वहां सेवा स्तर की स्थिति, स्वतंत्र अवलोकन और नागरिक प्रतिक्रिया शामिल है।
रैंकिग के मामले में शहरों का व्यक्तिगत रूप से प्रदर्शन के साथ ही उनके समग्र प्रदर्शन के आधार पर स्थान तय होता है। हर शहरी स्थानीय निकायों के प्रदर्शन को भी मूल्यांकन के 6 क्षेत्रों के आधार पर नंबर दिए जाते हैं।