इस व्यवस्था पर हो पुनर्विचार उड़ीशा हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि नेशनल लॉ यूनिवर्सिटीज, बार काउंसिल ऑफ इंडिया और इस प्रक्रिया में शामिल अन्य सभी हितधारकों के हितों को ध्यान में रखते हुए एनआरआईएस आरक्षण नए सिरे से लागू करना चाहिए। इस कोटा को लागू करते हुए विवेकपूर्ण और एक व्यवस्थित विनियमन होना चाहिए।
कोटा पैसे वालों के लिए विशेष आरक्षण जैसा उड़ीसा हाईकोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति संजू पांडा और न्यायमूर्ति एसके पाणिग्रही की खंडपीठ ने कहा कि एनआरआईएस कोटा अभिजात्य वर्ग के लिए विशेष आरक्षण जैसा है। इसके अलावा पीठ ने कहा है कि हम यह मानने के लिए विवश हैं कि NRIS श्रेणी के तहत आरक्षित सीटें CLAT (कॉमन लॉ एडमिशन टेस्ट) के माध्यम से NLUs में प्रवेश पाने के लिए हाड़तोड़ मेहनत करने वाले छ़ात्रों के लिए महत्वपूर्ण है।
सूप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला देते हुए बेंच ने कहा कि यह आरक्षण केवल इसलिए कि जो लोग पैसा ज्यादा दे सकते हैं वो इसके दम पर एनएलयू में प्रवेश ले सकते हैं। इसे तर्कसंगत नहीं कहा जा सकता है ।