ये स्वाभाविक पंसद का विषय
वहीं इस मामले में पूर्व अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने सुनवाई के दौरान कहा कि जेंडर और सेक्सुअल पसंद को एक साथ नहीं रखा जा सकता है। ये दोनों अलग-अलग बातें हैं। इन दो अलग मुद्दों को एक साथ नहीं रखा जा सकता है। यह पसंद का सवाल ही नहीं है। यह नेचुरल पसंद का विषय है। यही कारण है कि यह संविधान के अहम प्रश्नों से जुड़ा मसला है।
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में हुई सुनवाई
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में मंगलवार को संविधान के अनुच्छेद-377 के खिलाफ लगी याचिका पर सुनवाई हुई है। यह याचिका नाज फाउंडेशन की तरफ से लगाई गई है। यह संस्था समलैंगिक संबंधों को अपराध के दायरे में लाने का विरोध कर रही है। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने इस संबंध में बयान देते हुए कहा, मैं क्यूरेटिव पिटीशन पर सुनवाई के दौरान कोर्ट में था। मैंने कहा कि इस मसले पर सरकार का रुख अलग है, इसलिए मैं पेश नहीं हो सकता।’
समलैंगिकता अपराध है या नहीं
शीर्ष अदालत में समलैंगिकता को अपराध मानने या अपराध के दायरे से बाहर रखने को लेकर बहस जारी है। पीठ इसी बिंदु पर अपना अंतिम फैसला देगी। आपको बता दें कि सुप्रीम कोर्ट इस मामले में रिव्यू पिटिशन पहले ही खारिज कर चुका है जिसके बाद क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल किया गया जो पहले से बड़े बेंच को भेजा गया था।