समान अवसर के कारण संबोधित करने का मौका मिला- राष्ट्रपति
संसद को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि समान अवसर के दम पर ही आज मुझे राष्ट्रपति के तौर पर संसद की इस ऐतिहासिक बैठक को संबोधित करने का अवसर मिला। उन्होंने कहा कि अधिकार और कर्तव्य एक ही सिक्के के दो पहलू हैं। मानववाद की भावना को आगे बढ़ाना भी नागरिकों का एक मूल कर्तव्य है।
राष्ट्रपति ने संविधान की खासियत पर प्रकाश डालते ही कहा कि संविधान में भारतीय लोकतंत्र का दिल धड़कता है। संशोधनों का भी प्रावधान किया गया। 17वीं लोकसभा में 78 महिला सांसदों का चुना जाना हमारे लोकतंत्र की गौरवपूर्ण उपलब्धि है।
ये भी पढ़ें: संविधान दिवस आज, एक नजर में जानिएं क्या है इसकी खासियत?
संविधान पवित्र ग्रंथ- पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा “आज 26 नवंबर का दिन ऐतिहासिक दिन है। 70 साल पहले हमने विधिवत रूप से, एक नए रंग रूप के साथ संविधान को स्वीकार किया था।”पीएम मोदी ने कहा कि हमारा संविधान हमारे लिए सबसे बड़ा और पवित्र ग्रंथ है। पीएम मोदी ने संबोधित करते हुए कहा कि आप जो कुछ भी करें उसके साथ यह देखें कि क्या इससे मेरा देश मजबूत हो रहा है। नागरिक के नाते हम वो करें जिससे हमारा राष्ट्र सशक्त हो।
डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है
संसद को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने उन्होंने कहा, हमें जीवंत लोकतंत्र में योगदान को श्रद्धांजलि देता हूं। उन्होंने इस दौरान 2008 में इसी दिन मुंबई में हुए आंतकवादी हमले को भी याद किया।
संविधान सभा ने 2 साल, 11 महीने और 18 दिन में संविधान को तैयार किया था। भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 से लागू किया गया। इसलिए 26 जनवरी को हम गणतंत्र दिवस मनाते हैं। डॉ. भीमराव अंबेडकर को भारतीय संविधान का जनक कहा जाता है।