कुली से कामयाबी तक का सफर केरल के एर्नाकुलम जंक्शन पर श्रीनाथ 5 सालों से मुसाफिरों का सामान अपने कंधों पर ढो रहे हैं। वह वहां कुली का काम करते हैं। अपनी पढ़ाई के लिए उन्होंने किसी किताब की सहायता नहीं ली। बल्कि वह काम के साथ – साथ स्टेशन का वाई फाई इस्तेमाल कर वीडियो की मदद से अध्ययन करते थे। उनके पास फोन और ईयरफोन के अलावा और कुछ नहीं था। श्रीनाथ तीन बार परीक्षा में बैठ चुके हैं लेकिन पहली बार उसने अपनी तैयारी के लिए रेलवे के फ्री वाईफाई का प्रोयग किया। उन्होंने बताया कि मुफ्त वाईफाई सुविधा ने उनके लिए कामयाबी के द्वार खोल दिए। लोगों का सामान ढोते समय वो सदैव ईयरफोन कान में लगाए रहते थे और वीडियो के माध्यम से संबंधित विषयों पर शिक्षकों का लेक्चर सुना करते थे। फिर उसे अपने दिमाग में दोहराया करते थे। रात को जब काम से मौका मिलता था तो उस समय कोर्स को फिर दोहरा लेते थे। श्रीनाथ के अनुसार कुली का काम करते हुए वह और अधिक प्रतियोगी परीक्षाओं में भाग लेंगे ताकि भविष्य में बड़ा अफसर बन सकें। कामयाबी की ये मिसाल डिजिटल मीडिया के माध्यम पूरी हो सकी है। बता दें कि एर्नाकुलम स्टेशन पर 2016 में मुफ्त वाई-फाई की सेवा शुरू की गई थी। साल 2018 के मई तक देशभर के 685 रेलवे स्टेशनों पर ये सुविधा उपलब्ध हो गई है, जबकि भारतीय रेलवे ने मार्च 2019 तक इसे 8500 पहुंचाने का लक्ष्य रखा है।